नामीबिया से लाया गया चीता कूनो राष्ट्रीय उद्यान से निकलकर गांव में घुसा, तलाश जारी
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान से निकलकर एक चीते के दूरदराज के गांव में घुसने का मामला सामने आया है। चीते को विजयपुर तहसील के झाड़बड़ौदा गांव में देखा गया है, जिसके बाद ग्रामीणों के बीच डर का माहौल है। वन विभाग की टीमें चीते की तलाश कर रही हैं। इस चीते का नाम ओबन है और उसे पिछले साल सितंबर में 7 अन्य चीतों के साथ नामीबिया से भारत लाया गया था।
चीते को वापस लाने के लिए पहुंची वन विभाग की टीम
श्योपुर जिला वन अधिकारी (DFO) ने बताया, "नामीबिया से लाया गया ओबन नामक चीता राष्ट्रीय उद्यान से 20 किलोमीटर दूर विजयपुर के झारबड़ौदा गांव में प्रवेश कर गया है। गांव में वन विभाग की निगरानी टीम भी पहुंच गई है। चीते को वापस लाने के प्रयास जारी हैं।" चीते के गांव में होने की खबर मिलने के बाद कुछ ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर अपने खेतों में पहुंच गए थे। चीते को मार्च में ही बाड़े से जंगल में छोड़ा गया था।
चीते की हरकत पर रखी जा रही है नजर
मध्य प्रदेश के प्रधान वन संरक्षक (PCCF) जसवीर चौहान ने इंडिया टुडे को बताया, "हम चीते की हर हरकत पर नजर रख रहे हैं। चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि हमारी टीमें चीते के करीब हैं। इसे उद्यान में ले जाया जाएगा।"
चीते की वीडियो आई सामने
मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था जन्म
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में हाल ही में पिछले साल नामीबिया से लाई गई एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिसका वीडियो सामने आया था। केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शावकों की वीडियो ट्विटर पर शेयर कर लिखा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत लाए गए चीतों में एक ने चार शावकों का जन्म दिया है। प्रोजेक्ट चीता टीम को भी बधाई।'
पिछले साल भारत लाए गए थे 20 अफ्रीकी चीते
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अब तक 20 अफ्रीकी चीते लाए जा चुके हैं। पिछले साल दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते भारत लाए गए थे, जिनमें 7 नर और 12 मादा चीता शामिल थे। इनमें से एक मादा चीते की गुर्दे के संक्रमण के कारण हाल ही में मौत हो गई थी। इससे पहले सितंबर में नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर पिंजरे से बाड़े में छोड़ा था।
भारत में 1952 में विलुप्त घोषित कर दिए गए थे चीते
भारत में साल 1948 में आखिरी बार चीते देखने को मिले थे, लेकिन उसके बाद चीते नजर नहीं आए और 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। चीतों को दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर माना जाता है और ये जंगली बिल्ली की श्रेणी में आते हैं। 1970 के दशक में ऐतिहासिक श्रेणियों में शामिल जानवरों की प्रजातियों को फिर से देश में स्थापित करने की योजना के तहत कई देशों से करार किया गया था।
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