नन रेप केस में बिशप फ्रैंको मुलक्कल बरी, फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगी पीड़िता
नन के साथ रेप के आरोपी केरल के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोट्टयम के एडिशनल सेशन कोर्ट ने आज उसके हक में फैसला सुनाया। फैसले के बाद मुलक्कल राहत में नजर आए और कोर्ट से बाहर निकलने के बाद उन्होंने कहा, "भगवान की कृपा है।" फ्रैंको मुलक्कल देश के ऐसे पहले कैथोलिक बिशप थे जिन्हें यौन शोषण और रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा पीड़ित पक्ष
पीड़ित नन की वकील ने स्थानीय कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। वकील संध्या राजू ने BBC से ये बात कही। वहीं मुलक्कल का बचाव कर रहे टीम के सदस्य रमन पिल्लै ने कहा, "अभियोजन पक्ष बिशप के खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप को साबित करने में नाकाम रहा... इसका मतलब ये है कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे थे। कोई रेप नहीं हुआ था।"
क्या है पूरा मामला?
जून 2018 में कोट्टायम जिले में एक नन ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि बिशप मुलक्कल ने वर्ष 2014-16 के बीच उसका यौन शोषण किया था। आरोप लगने के बाद कई नन, एक्टिविट्स और राजनीतिक नेताओं ने मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग की और मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल SIT ने उन्हें 21 सितंबर, 2018 को गिरफ्तार किया। SIT ने उन पर बंधक बनाने, दुष्कर्म करने और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप तय किए थे।
मुलक्कल ने किया था आरोपों को खारिज
आरोपों पर अपनी सफाई पेश करते हुए मुलक्कल ने कहा था कि वह 5 मई, 2014 को कुराविलांगद के कॉन्वेंट में नहीं रुके थे। नन ने इसी दिन मुलक्कल पर पहली बार रेप करने का आरोप लगाया था। मुलक्कल के अनुसार, वो कॉन्वेंट गए जरूर थे, लेकिन वे किसी दूसरे कॉन्वेंट में रुके थे। उन्होंने कहा था कि नन ने उस पर आरोप इसलिए लगाए क्योंकि उन्होंने उसके अफेयर के आरोपों में जांच का आदेश दिया था।
सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने मुलक्कल के खिलाफ 39 गवाह और 122 दस्तावेज पेश किए। दूसरी तरफ मुलक्कल के पक्ष ने उनके बचाव में छह गवाह और 56 दस्तावेज पेश किए। मामले में 9 अप्रैल, 2019 को चार्जशीट दाखिल की गई थी और 29 दिसंबर, 2021 को सुनवाई खत्म हुई। इस बीच मुलक्कल केस को रद्द कराने के लिए केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए, लेकिन दोनों ने उससे ट्रायल का सामना करने को कहा।
कौन हैं बिशप मुलक्कल?
मुलक्कल केरल के त्रिशूर जिले के म़ट्टम गांव के रहने वाले हैं। वे 1990 में पुजारी और 2009 में सहायक बिशप बने। 2013 में उन्हें जालंधर का बिशप बनाया गया। आरोप लगने के बाद 15 सितंबर, 2018 को उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।