द्वारका एक्सप्रेसवे: जानिए इस एक्सप्रेसवे के खासियत और अन्य जरूरी बातें
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिल्ली को गुरुग्राम से जोड़ने वाले निर्माणाधीन द्वारका एक्सप्रेसवे का एक वीडियो साझा किया है, जो भारत का पहला 8 लेन का एलिवेटेड सड़क मार्ग है। रविवार को केंद्रीय मंत्री गडकरी ने ट्विटर (X) पर वीडियो पोस्ट करते हुए दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे निर्माण को 'इंजीनियरिंग का चमत्कार' और 'भविष्य की अत्याधुनिक यात्रा' करार दिया। आइए द्वारका एक्सप्रवे की कुछ खासियतें और अन्य जरूरी बातों को विस्तार से जानते हैं।
एक्सप्रेसवे से दिल्ली और हरियाणा की कनेक्टिविटी में होगा सुधार
द्वारका एक्सप्रेसवे 8 लेन का एलिवेटेड मोटरवे होने के अलावा 563 किलोमीटर का एक सड़क मार्ग है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर गुरुग्राम में खेड़की दौला टोल प्लाजा को दिल्ली में शिव मूर्ति से जोड़ता है। इस महत्वकांक्षी परियोजना से दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी में भी बेहतर सुधार होगा। इसके अलावा परियोजना के लिए 1,200 पेड़ों को दोबारा लगाया गया है। साथ ही एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर 3 सर्विस लेन बनाई गई हैं।
दिल्ली से हरियाणा की यात्रा में लगेगा काफी कम समय
द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण होने से दिल्ली से हरियाणा के बीच यात्रा में काफी कम समय लगेगा। मंत्रालय के अनुसार, यात्री द्वारका से हरियाणा के मानेसर तक केवल 15 मिनट और मानेसर से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 20 मिनट में यात्रा कर सकेंगे। साथ ही सिंघु बॉर्डर से द्वारका और मानेसर तक यात्रा का समय क्रमशः 25 मिनट और 45 मिनट हो जाएगा। ये एक्सप्रेसवे सेक्टर 25 में द्वारका के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर की कनेक्टिविटी को भी बढ़ाएगा।
देखिए वीडियो
एक्सप्रेसवे की इंजीनियरिंग ने एफिल टॉवर और बुर्ज खलीफा को दी मात
द्वारका एक्सप्रेसवे की इंजीनियरिंग में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि ये है कि इसे 2 लाख मीट्रिक टन स्टील और दो मिलियन क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट से तैयार किया जाएगा। खास बात ये है कि एक्सप्रेसवे निर्माण में लगने वाले स्टील की मात्रा फ्रांस के एफिल टॉवर की तुलना में 30 गुना अधिक है, जबकि सीमेंट कंक्रीट की मात्रा दुबई में निर्मित इमारत बुर्ज खलीफा की तुलना में 6 गुना अधिक है।
एक्सप्रेसवे परियोजना से जुड़ी टीम ने किये हैं कई प्रयोग
इस परियोजना से जुड़ी टीम ने कई इंजीनियरिंग और निर्माण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद समस्याओं से निपटने के लिए कई नए और अभिनव प्रयोग किए हैं। उदाहरण के लिए परियोजना टीम ने ट्रैफिक और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक्सप्रेसवे दोनों ओर सर्विस लेन पर प्रवेश बिंदु बनाए हैं। टाइम्स नाऊ के अनुसार, एक्सप्रेसवे इसलिए भी अनोखा है क्योंकि यह भारत का पहला प्रोजेक्ट है, जहां 1,200 पेड़ों को दोबारा लगाया गया है।
CAG ने एक्सप्रेसवे निर्माण की लागत पर खड़े किये सवाल
हाल में भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण की लागत में वृद्धि को चिह्नित करते हुए परियोजना पर सवाल उठाया है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए केंद्रीय समिति ने 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से बजट आवंटित किया था, लेकिन सड़क मंत्रालय ने DPR के बिना 250.77 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की दर से राशि को मंजूरी दे दी।