चार्टर फ्लाइट के लिए सरकार पर बकाया है एयर इंडिया के 822 करोड़ रुपये- RTI
पैसे की कमी से जूझ रही सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के सैंकड़ों करोड़ रुपये के बिल बकाया है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में पता चला है कि VVIP चार्टर फ्लाइट के लिए एयर इंडिया का 822 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। यह पैसा सरकार द्वारा एयर इंडिया को देना है। कोमोडर लोकेश बत्रा (रिटायर) ने RTI लगाकर एयर इंडिया के बकाया बिल की जानकारी मांगी थी, जिसमें यह खुलासा हुआ है।
CAG भी उठा चुका है बकाया भुगतान का मुद्दा
आपको बता दें कि VVIP चार्टर फ्लाइट के तहत एयर इंडिया राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे अति विशिष्ट लोगों के लिए चार्टर्ड एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराती है। इसके लिए जरूरत के मुताबिक कमर्शियल विमानों सुइट में बदला जाता है। इन विमानों का किराया रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय के कोष से चुकाया जाता है। बता दें कि CAG ने भी 2016 में एयर इंडिया के बकाया भुगतान का मुद्दा उठाया था।
बचाव अभियानों वाली उड़ानों के लिए नहीं किया गया भुगतान
चार्टर फ्लाइट के भुगतान के अलावा बचाव अभियान का 9.67 करोड़ रुपये और विदेशी गणमान्यों को लाने-ले जाने के 12.65 करोड़ रुपये बकाया है। सिर्फ इतना ही नहीं, एयर इंडिया को अभी तक उन टिकट का भुगतान भी नहीं किया गया है, जो सरकारी अधिकारियों ने सरकार के हिस्से से उधार ली थी। ऐसी टिकटों का कुल भुगतान 526.24 करोड़ रुपये है, जो एयर इंडिया का सरकार पर बाकी है। इनमें से 236 करोड़ रुपये पिछले तीन साल के हैं।
एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
केंद्र सरकार एयर इंडिया के 100 फीसदी शेयर बेचने को तैयार है। सरकार रणनीतिक विनिवेश के तहत एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और ज्वाइंट वेंचर AISATS में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। सफल बोली लगाने वाले को एयरलाइन का मैनेजमेंट कंट्रोल भी ट्रांसफर किया जाएगा। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि 17 मार्च रखी गई है और योग्य बोलीदाताओं की जानकारी 31 मार्च को सार्वजनिक की जाएगी।
एयर इंडिया को बेचने की दूसरी कोशिश
एयर इंडिया पर 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज है। 2018 के बाद कंपनी को बेचने की यह दूसरी कोशिश है। सरकार ने 2018 में 76 प्रतिशत शेयर बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की थी। उस समय शर्तें रखी गई थीं कि खरीदार को कुल 33,392 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके अलावा एयरलाइन के मैनेजमेंट पर सरकार का कंट्रोल रहता। इन शर्तों के आधार पर सरकार को खरीदार नहीं मिला, जिसके बाद शर्तें आसान की गई हैं।
इस बार क्या शर्तें रखी गई हैं?
पिछली बार खरीदार न मिलने के कारण सरकार ने शर्तों में कुछ राहत दी है। इस बार खरीदार को 23,286 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी। साथ ही मैनेजमेंट का कंट्रोल खरीदार के पास जाएगा। कोई भी रजिस्टर्ड प्राइवेट, पब्लिक लिमिटेड कंपनी, कॉर्पोरेट बॉडी या फंड भारतीय कानून के तहत कंपनी की बोली लगा सकेंगे। इसके लिए बोलीदाता का नेटवर्थ 3,500 करोड़ रुपये होना जरूरी है। बोली निजी और कंसोर्टियम के तौर पर भी लगाई जा सकती है।