#NewsBytesExclusive: जियो MAMI फिल्म फेस्टिवल में मिलिंद धायमाडे की 'माई', खाने के जरिए दिया बेहतरीन संदेश
मुंबई में 27 अक्टूबर से जियो MAMI फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हो रही है। समारोह में विश्व सिनेमा से लेकर क्षेत्रीय सिनेमा तक की झलक देखने को मिलेगी। इस फेस्टिवल में शहाणा गोस्वामी और कुणाल रॉय कपूर की शॉर्ट फिल्म 'माई' भी प्रदर्शित की जाएगी। 'माई' फिल्म संकलन 'लॉस्ट एंड फाउंड' का हिस्सा है, जिसका निर्देशन निर्देशक मिलिंद धायमाडे ने किया है। MAMI में स्क्रीनिंग से पहले, मिलिंद ने न्यूजबाइट्स हिंदी से बातचीत की।
कैसी है शॉर्ट फिल्म 'माई'?
'माई' 29 अक्टूबर, 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शित की जाएगी। इसका निर्माण कोलोसियम मीडिया और मैकगफिन ने किया है। फिल्म सुमन (कुणाल) की कहानी है, जिसे अपनी मां के हाथ का खाना बेहद पसंद है। मां के निधन के बाद सुमन उनके बनाए आखिरी खाने को हर संभव तरीके से बचाकर रखने की कोशिश करता है। तभी उसकी मुलाकात मोना (शहाणा) से होती है, जो किसी भी खाने को चखकर उसकी रेसिपी जान सकती है।
पत्नी ने दिया था खाने पर फिल्म बनाने का विचार
मिलिंद ने 'माई' में बड़ी खूबसूरती से दुख, कॉमेडी, रोमांस जैसी भावनाओं को खाने के इर्द-गिर्द रचा है। उन्होंने बताया कि उन्हें निर्माता मैकगफिन की तरफ से 'लॉस्ट एंड फाउंड' की थीम दी गई थी। वह कुछ अलग करना चाहते थे। उन्होंने बताया, "मैं खुद खाने का शौकीन हूं। एक दिन मेरी पत्नी ने सुझाया कि अगर कोई ऐसे व्यक्ति को खो दे, जिसका खाना उसे पसंद था तो क्या होगा? यहीं से इस कहानी की शुरुआत हुई थी।"
खाने के बहाने दिया खास संदेश
मिलिंद ने कहा, "मैं मानता हूं कि भारतीय अपने खाने से काफी जुड़े होते हैं। हम कहीं बाहर भी जाते हैं तो अपना बावर्ची लेकर जाते हैं। हमें प्रयोग करना अच्छा नहीं लगता। फिल्म में खाने को सांकेतिक रूप से इस्तेमाल किया है। अगर आप किसी चीज को अपनी पहचान बना लेंगे तो आप प्यार और जिंदगी का अनुभव नहीं कर पाएंगे। अगर आप किसी चीज के इतना पीछे पड़ जाएंगे तो आप बाकी चीजों का अनुभव कैसे करेंगे?"
क्या खाना बनाने की जिम्मेदारी सिर्फ मां पर होनी चाहिए?
मिलिंद का मानना है कि खाना बनाना मर्जी की बात होनी चाहिए, ना कि जिम्मेदारी की। यह एक साझा जिम्मेदारी है, क्योंकि खाना तो सबको है। उन्होंने कहा, "जब महिलाएं खाना बनाती हैं तो वे सोचती हैं कि ये मेरे पति को अच्छा लगेगा, ये मेरे बच्चे को अच्छा लगेगा। जब पुरुष खाना बनाते हैं तो सोचते हैं, मुझे ये खाना है, ये मैं बनाऊंगा। वे शौक से बनाते हैं, महिलाएं जिम्मेदारी निभाती हैं। यह बदलना चाहिए।"
शहाणा कमाल की कलाकार हैं- मिलिंद
मिलिंद और शहाणा इससे पहले 2016 में आई फिल्म 'तू है मेरा संडे' में साथ काम कर चुके हैं। इस साझेदारी पर उन्होंने कहा, "शहाणा के साथ काम करना हमेशा मजेदार होता है। वह कमाल की कलाकार हैं, इसलिए उनके साथ किरदार को गढ़ना आसान हो जाता है। हम जब भी मिलते हैं, हम पहले जैसे ही रहते हैं। यह शानदार है कि आप बढ़ते हैं, लेकिन आप बदलते नहीं हैं।"
फिल्म में दिखाया गए व्यंजन किसने चुने थे?
मिलिंद ने बताया, "मैं खुद खाने का बहुत शौकीन हूं। मुझे बंगाली खाना पसंद है। महाराष्ट्र में एक CKP समुदाय होता है, जिनके व्यंजन खूब मशहूर हैं। मुझे CKP खाने से भी प्यार है। इसलिए मैंने तय किया कि फिल्म का किरदार इन दोनों समुदाय से जुड़ा हो।" उन्होंने आगे बताया, "एक फूड स्टाइलिस्ट हैं शुभांगी धायमाडे। उनके साथ मिलकर सारे व्यंजन तय किए गए थे। वह खुद CKP समुदाय की महिलाओं से मिलीं और पुरानी किताबों में रेसिपी ढूंढी।"