
अनुराग कश्यप का भारतीय सिनेमा पर तंज, कहा- यहां राजामौली के 10 सस्ते वर्जन मिल जाएंगे
क्या है खबर?
'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी कई शानदार फिल्मों का निर्देशन कर चुके अनुराग कश्यप बॉलीवुड की मौजूदा स्थिति पर कई बार निराशा व्यक्त कर चुके हैं।
हाल ही में उन्होंने पूरे भारतीय सिनेमा पर निशाना साधा।
अनुराग ने कहा कि सिनेमा में लोगों को एक-दूसरे की नकल करने के बजाय अपना स्टाइल और अपनी खुद की शैली खोजनी चाहिए। उनके मुताबिक भारत में दूसरों की देखा-देखी फिल्में बनाई जा रही हैं।
आइए जानें क्या कुछ बोले अनुराग।
निशाना
अनुराग ने यूं किया कटाक्ष
अनुराग बोले, "छात्रों को फिल्मों तक पहुंच दें। किताबों तक पहुंच दें। उन्हें खुद को खोजने दें, क्योंकि हर किसी का एक अलग व्यक्तित्व होना चाहिए। सबसे बड़ा उदाहरण एक एसएस राजामौली का है और फिर राजामौली के 10 सस्ते संस्करण। अब राजामौली के ये सभी 10 सस्ते संस्करण राजामौली तो नहीं हो सकते ना, क्योंकि राजामौली एक ओरिजनल क्रिएटर हैं, है न? हर कोई उनकी नकल कर रहा है, लेकिन क्या नकल करके आप उनकी तरह बन सकते हो?"
दो टूक
अनुराग ने दी भेड़-चाल में शामिल न होने की सलाह
अनुराग बोले, "आप राजामौली की देखी-देखी वैसी फिल्में बना सकते हैं, लेकिन यह भी तो सोचो कि उनके विचार आ कहां से रहे हैं। राजामौली जानते हैं कि उन्हें क्या करना है और कैसा सिनेमा बनाना है।"
अनुराग ने अपनी बात को समझाते हुए एक और उदाहरण दिया।
वह बोले, "मानों 'KGF' चलती है तो आंखें मूंदकर हर कोई इसकी जैसी फिल्में बनाने पर तुल जाएगा। एक-दूसरे के पीछे मत भागो। अपनी रचनात्मकता और काबिलियत के हिसाब से फिल्में बनाओ।"
बयानअ
पैन इंडिया फिल्मों के चलन पर क्या बोले अनुराग?
बातचीत में अनुराग आगे कहते हैं, "आप कहते हैं कि पैन इंडिया फिल्मों का चलन चल पड़ा है। अरे ये कोई नया चलन नहीं है। मेरे लिए रजनीकांत की 'फौलादी मुक्का' पैन इंडिया थी। मेरे लिए नागार्जुन अक्किनेनी की 'शिव' पैन इंडिया थी। 'प्रतिबंध' पैन इंडिया थी और ये मैंने तब देखी थीं, जब मैं बच्चा था। ये एक फॉर्मूला है और फॉर्मूला इसलिए काम करता है, क्योंकि कोई भी अपनी जेब से पैसा नहीं लगाता।"
तंज
"पैन इंडिया के नाम पर अपनी जीवनशैली सुधार रहे निर्माता-निर्देशक"
अनुराग यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, "वे कहीं और से पैसे ले रहे हैं। आप अपनी जीवनशैली के लिए पैन इंडिया फिल्म बनाने के नाम पर, ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाने के नाम पर किसी और की जेब ढीली कर रहे हैं। आप वास्तव में कोई फिल्म नहीं बना रहे हैं। मैं इसलिए सिनेमा के छात्रों का यह सलाह देता हूं कि भीड़ के पीछे मत भागो। अपने हुनर या खासियत को पहचानों और सबसे हटकर खुद की एक अलग पहचान बनाओ।"
जानकारी
वैज्ञानिक बनना चाहते थे अनुराग
बता दें कि अनुराग कभी सिनेमाई दुनिया में नहीं आना चाहते थे। वह ब्रह्मांड में छिपे रहस्यों को खोजना चाहते थे। उनका सपना था कि वह वैज्ञानिक बने, लेकिन कॉलेज के दौरान उनका रुझान थिएटर की ओर बढ़ा और फिर वह बॉलीवुड में चले आए।