'द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन्स' रिव्यू: फिर दिखा इरफान का जादू, गोलशिफते ने अपने नाम की फिल्म
फिल्म 'द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियन्स' शुक्रवार को पर्दे पर रिलीज हो गई है। कुछ समय पहले जब फिल्म का ट्रेलर आया था तो यह दिवंगत इरफान खान के प्रशंसकों के लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं था। उनके प्रशंसक उन्हें एक बार फिर से पर्दे पर देखने के लिए रोमांचित हो उठे। यह फिल्म 2017 में स्विट्जरलैंड के 70वें लोकार्नो फिल्म समारोह में दिखाई जा चुकी है। आपको बताते हैं कैसी है इरफान की यह आखिरी फिल्म।
खास गाने से बिच्छू के जहर का इलाज करती है नूरन
फिल्म राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह नूरन नाम की एक जनजातीय लड़की (गोलशीफते फरहानी) की कहानी है, जो जड़ी-बूटी से बिच्छू के काटने का इलाज करती है। इसके लिए वह मंत्र के रूप में खास गाना गाती है। इसमें वह परिपक्व नहीं है, लेकिन अपनी मां (वहीदा रहमान) से यह साधना सीख रही है। उसे अपनी मां से बेहद लगाव है और उसकी पूरी जिंदगी मां के आसपास ही घूमती है।
इकतरफा प्यार में डूबे दिखे इरफान
नूरन से आदम (इरफान) को प्यार हो जाता है। इस एकतरफा प्यार में वह जुनूनी हो जाता है और हर हाल में नूरन को अपनी पत्नी बनाना चाहता है। एक दिन नूरन के साथ एक हादसा हो जाता है। उसकी मां भी कहीं गुम हो जाती है। इसके बाद नूरन बिल्कुल टूट जाती है। नूरन की जिंदगी के खोए नूर को ढूंढने की कहानी है यह फिल्म। इस हादसे के बाद आदम नूरन को अपने साथ ले आता है।
गोलशिफते का उत्कृष्ट अभिनय
नूरन का किरदार ईरानी अभिनेत्री गोलशिफते फरहानी ने निभाया है। उनका अभिनय फिल्म को अलग स्तर पर ले जाता है। फिल्म में अधिकतर वक्त वही नजर आती हैं और हर दृश्य में उनका हुनर नजर आता है। फिल्म में एक लंबा सीक्वेंस आता है, जिसमें कोई संवाद नहीं है। गोलशिफते इस सीक्वेंस में अपने अभिनय मात्र से कहानी को आगे बढ़ा ले जाती हैं। नूरन के अल्हड़पन से लेकर गुस्से और दुख में उन्होंने कमाल का अभिनय किया है।
दिखा इरफान का पुराना जादू
इंटरवल के पहले तक फिल्म में इरफान पर्दे पर कम ही नजर आते हैं। हालांकि, गोलशिफते अपने अभिनय से लोगों को ऐसा बांधती हैं कि इरफान को ढूंढ रहे प्रशंसक फिल्म में खो जाते हैं। इरफान जब-जब पर्दे पर दिखते हैं, उनका पुराना जादू नजर आता है। उनके किरदार में एकतरफा प्यार का जुनून और खालीपन दिखता है। नूरन के पास होने की तसल्ली भी उनकी आंखों में दिखाई देती है।
निर्देशक और लेखक ने बनाई बेहतरीन दुनिया
शानदार लेखन और निर्देशन से फिल्म में एक अलग दुनिया बनाई गई है। इसका निर्देशन अनूप सिंह ने किया है। इसका लेखन भी अनूप ने जूही चतुर्वेदी के साथ मिलकर किया है। फिल्म देखते हुए लगता है, मानो आप कोई उपन्यास पढ़ रहे हैं। फिल्म बढ़ती भी इस तरह है जैसे आप एक-एक पन्ना पलट रहे हों। रेगिस्तान के सहारे निर्देशक आदम के जुनून और नूरन के खालीपन को फिल्म में बेहतरीन तरीके से रखते हैं।
इन सिनेमाई तत्वों ने बढ़ाया फिल्म का स्तर
फिल्म में नूरन और आदम की बात संवाद से ज्यादा कैमरा और लाइट कहते हैं। अंधेरे में हल्की-फुल्की रोशनी के साथ निर्देशक ने कई मजबूत दृश्य परोसे हैं। रेगिस्तान के विस्तार में कलाकारों को कितना बड़ा और छोटा दिखाना है, इस बात का खास ख्याल रखते हुए फिल्म का हर इमोशन चुपके से दर्शकों तक पहुंचाया जाता है। वहीं कहानी को वास्तविकता के नजदीक लाने का काम कॉस्ट्यूम ने संभाला है।
इस बात ने दर्शकों की कराई कसरत
फिल्म सिनेमाई तत्वों के मामले में अव्वल है, लेकिन यह मनोरंजन करने में पीछे रह गई। फिल्म में दो जगह बेहतरीन ट्विस्ट आते हैं, जिनसे दर्शक हैरान रह जाते हैं। इनके अलावा फिल्म में कुछ भी नया नहीं होता और यह बेहद धीमे-धीमे आगे बढ़ती है। आदम और नूरन का किरदार क्षेत्रीय भाषा बोलते हैं, ऐसे में दर्शकों को कई बार उनकी बातें समझने के लिए दिमाग पर जोर देना पड़ सकता है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- इरफान खान जैसे कलाकार को फिर से बड़े पर्दे पर देखने का मौका नहीं चूकना चाहिए। इसके अलावा गोलशीफते के उत्कृष्ट अभिनय से परिचय भी जरूरी है। क्यों न देखें?- जूही ने इससे पहले 'गुलाबो-सिताबो', 'अक्टूबर' जैसी फिल्में लिखीं हैं। यह फिल्म भी उसी स्वाद की है। अगर आपको ऐसी फिल्में बोर करती हों तो यह फिल्म आपके लिए बोझिल हो सकती है। न्यूजबाइट्स स्टार- 4/5