पुण्यतिथि विशेष: राजेश खन्ना जैसा स्टारडम किसी ने नहीं देखा, अब तक कायम है ये रिकॉर्ड
क्या है खबर?
बॉलीवुड में अक्सर यह कहा जाता है कि यहां हर शुक्रवार को एक नया हीरो बनता है। एक की फिल्म पर्दे से उतरते ही दूसरा हीरो उसकी जगह लेता है।
हालांकि, कुछ ऐसे सितारे रहे, जिनकी फिल्म पर्दे पर उतरने के बाद भी वे लोगों के जहन में रहे। उन्हीं में से एक कलाकार थे राजेश खन्ना उर्फ काका, जो आज यानी 18 जुलाई के दिन ही इस दुनिया से रूख्सत हुए थे।
एक नजर उनसे जुड़े दिलचस्प किस्सों पर।
उपलब्धि
मिला भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार का तमगा
बॉलीवुड में राजेश जैसा रुतबा आज तक किसी का नहीं रहा। 80 के दशक में लोग उनके नाम पर अपने बच्चों का नाम रखा करते थे।
राजेश का असली नाम जतिन था, लेकिन उन्होंने अभिनय जगत में पांव रखने से पहले अपना नाम बदल दिया था।
हिंदी सिनेमा में पहली बार राजेश को ही सुपरस्टार नाम दिया गया था।
यह उनकी फिल्म 'आराधना' के ब्लॉकबस्टर होने के बाद हुआ। फिल्म समीक्षकों ने उन्हें भारतीय सिनेमा का पहला सुपरस्टार बताया था।
रिकॉर्ड
एक के बाद एक लगातार 15 हिट फिल्में देने का रिकॉर्ड
शायद ही आप इस बात से वाकिफ हों कि राजेश हिंदी सिनेमा के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक रहे हैं।
वे भारत के पहले और इकलौते एक्टर हैं, जिन्होंने एक के बाद एक लगातार 15 सोलो हिट फिल्में दी थीं. साल 1969 से 1971 में रिलीज हुईं उनकी फिल्में सुपरहिट रहीं। उनके इस रिकॉर्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया।
राजेश की कामयाबी का ये दौर फिल्म 'आराधना' से शुरू होकर फिल्म 'हाथी मेरे साथी' तक जारी रहा।
पढ़ाई
मुंबई विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता था 'राजेश खन्ना का 'करिश्मा'
जब राजेश अपने करियर की बुलंदियों पर थे, तब मुंबई विश्वविद्यालय में उन पर निबंध पढ़ाए जाते थे।
इस निबंध का नाम 'द करिश्मा ऑफ राजेश खन्ना' था। इससे बड़ी बात या सफलता एक अभिनेता के लिए और क्या हो सकती है?
यह राजेश का जलवा ही था कि 1973 में BBC ने उनके ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जिसका नाम था 'बॉम्बे सुपरस्टार।
राजेश अपने जमाने में फिल्मों में सबसे ज्यादा फीस लेने वाले कलाकारों में शुमार थे।
दीवानगी
लड़कियों के बीच थी जबरदस्त दीवानगी
राजेश के प्रति लड़कियों की दीवानगी सबसे अलग थी। उनकी एक सफेद गाड़ी थी, जिसे चूमकर लड़कियां गुलाबी कर देती थीं।
कहा जाता है कि जिस रास्ते से राजेश गुजरते थे, उसकी धूल को सिंदूर बनाकर महिलाएं अपनी मांग भर लेती थीं।
उनकी इस दीवानगी से जुड़ा एक किस्सा वो भी है, जब कॉलेज से फिल्म की शूटिंग देखने आईं लड़कियों की भीड़ के कारण राजेश के कपड़े तक फट गए थे।
दीवानगी
खून से खत लिखती थीं लड़कियां
राजेश को महिलाएं अपना पति तो लड़कियां अपना प्रेमी मानती थीं। ऐसे में जब उनकी शादी हुई तो लाखों-करोड़ों दिल टूट गए।
जिस किस्म का प्यार और पागलपन राजेश ने अपने जीवनकाल में देखा, वैसा प्यार बॉलीवुड के किसी सितारे को आज तक नसीब नहीं हुआ।
कहा जाता है कि अपना प्यार जताने के लिए उन्हें लड़कियां खून से लिखे खत भेजती थीं। उनमें से कई ने तो उनकी तस्वीर से शादी कर ली थी।
रिकॉर्ड
100 से ज्यादा फिल्मों के हीरो
राजेश ने करीब 22 ही ऐसी फिल्में कीं, जो दो हीरो या कई सितारों से सजी थीं। बाकी 100 से ज्यादा फिल्में उन्होंने सोलो लीड हीरो वाली कीं।
राजेश ने 1966 में फिल्म 'आखिरी खत' से बॉलीवुड में कदम रखा था. ये पहली भारतीय फिल्म थी, जिसे 1967 में ऑस्कर में एंट्री मिली थी।
राजेश ने ही सलीम खान और जावेद अख्तर की लेखक जोड़ी को 'हाथी मेरे साथी' के जरिए स्क्रीनराइटर के रूप में पहला ब्रेक दिया था।