चांद की धरती पर उतरी हिंदी सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म के बारे में जानिए
चांद पर जाने और उस पर जीवन की मौजूदगी की कहानियों से बॉलीवुड अछूता नहीं रहा। हिंदी सिनेमा में हर साल न जाने कितनी फिल्में रिलीज होती हैं। अंतरिक्ष के इर्द-गिर्द घूमती कई कहानियां पर्दे पर आ चुकी हैं। बॉलीवुड ने चांद और अंतरिक्ष मिशन की कल्पनाएं 1967 में शुरू कर दी थीं, जब कावेरी प्रोडक्शन ने 'चांद पर चढ़ाई' नाम की फिल्म बनाई थी, जो बॉलीवुड की पहली साइंस फिक्शन फिल्म है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
सबसे पहले जानिए कौन थे निर्माता-निर्देशक, लेखक और कलाकार
'चांद की चढ़ाई' में पहलवान, अभिनेता, निर्देशक और राजनेता दारा सिंह ने मुख्य भमिका निभाई थी। टीआर सुंदरम ने फिल्म का निर्देशन किया था। सुंदरम ही इसके निर्माता भी थे। बालकिशन मौज की कलम से इस फिल्म की कहानी निकली थी। फिल्म में अनवर हुसैन और भगवान, पद्मा खन्ना और हेलन भी अहम भूमिका में थीं। इस साइंस फिक्शन फिल्म का दर्शकों ने पसंद किया था क्योंकि पर्दे पर पहली बार हिंदीभाषी दर्शकों को कुछ अलग देखने को मिला था।
56 साल पहले दारा सिंह ने की थी चढ़ाई
फिल्म में दिखाया गया कि कैसे चंद्रमा पर पहुंचने के बाद फिल्म के कलाकार दारा सिंह को मुश्किलें झेली पड़ी थीं। यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म चांद पर उतरने की कहानी कहती है। दारा सिंह ने इसमें अंतरिक्ष यात्री की भूमिका निभाई थी। जैसे ही वह अपने साथी भग्गू (भगवान) के साथ चंद्रमा पर पहुंचते हैं उन्हें वहां कई लड़ाकों और एलियंस से लड़ना पड़ता है। फिल्म में चंद्रयान के अंदर भी दारा सिंह जबरदस्त फाइट करते दिखे थे।
इसी फिल्म से शुरू हुआ बॉलीवुड में साइंस फिक्शन फिल्में बनने का चलन
'चांद पर चढ़ाई' को कुछ लोग 'ट्रिप टू मून' के नाम से भी जानते हैं। यह भारतीय सिनेमा की शुरुआती साइंस फिक्शन फिल्मों में से एक थी। इस फिल्म में रॉकेट लॉन्चिंग के दृश्य भी दिखाए गए थे। फिल्म का संगीत ऊषा खन्ना ने तैयार किया था, जिसमें ज्यादातर गाने लता मंगेशकर ने गाए थे। बॉलीवुड में अंतरिक्ष, चांद, एलियन पर कई फिल्में बन चुकी हैं और यह चलन 'चांद पर चढ़ाई' की रिलीज के बाद ही शुरू हुआ था।
'कलाई आरसी' थी भारतीय सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म
तमिल भाषा में बनी 'कलाई आरसी' भारतीय सिनेमा की पहली साइंस फिक्शन फिल्म थी, जो 1963 में रिलीज हुई थी। एम. जी. रामचन्द्रन मोहन, भानुमति वाणी और एम. एन. नांबियार ने इसमें अहम भूमिका निभाई थी। इसी फिल्म के साथ भारत में साइंस फिक्शन फिल्में बनाने का दौर शुरू हुआ था। ए. कासिलिंगम ने इस फिल्म के निर्देशन की कमान संभाली थी। एलियंस के धरती पर आने की अवधारणा को पर्दे पर उतारने वाली यह पहली भारतीय फिल्म थी।