#NewsBytesExplainer: जानिए कौन थीं मिरियम माकेबा, जिनको समर्पित है वायरल गाना 'माकेबा'
इन दिनों इंस्टाग्राम पर रील्स में एक गाना खूब चल रहा है, 'ऊये माकेबा'। अगर आप सोशल मीडिया पर वक्त बिताते हैं तो आपने भी यह गाना जरूर सुना होगा। हो सकता है कि बिना इसका मतलब जाने आपने इसे गुनगुनाया भी होगा या अपने रील्स में इसका इस्तेमाल भी किया होगा। क्या आपको इस गाने के पीछे का इतिहास पता है? दरअसल, गाने में इस्तेमाल शब्द 'माकेबा' मीरियम माकेबा के बारे में है। आइये उनके बारे में जानते हैं।
रंगभेद के खिलाफ बुलंद आवाज थीं माकेबा
माकेबा दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ हुई क्रांति की एक मजबूत आवाज थीं। उन्हें 'मामा अफ्रीका' भी कहा जाता था। वह अपने क्रांतिकारी गानों से अश्वेत समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाती थीं। उन्होंने अश्वेत नेता और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की रिहाई के लिए भी गाना लिखा था। 1965 में उन्होंने हैरी बेलाफॉन्ट के साथ ग्रैमी पुरस्कार जीता था। 1962 में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के जन्मदिन पार्टी में गाना गाया था।
17 साल की उम्र में शुरू किया गाना
माकेबा का जन्म मार्च, 1932 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। जब वह 5 वर्ष की थीं, तब उनके पिता का निधन हो गया था। इसके बाद वह अपनी मां के साथ लोगों के घरों में काम करने लगी थीं। 17 वर्ष की उम्र में वह अपने पहले बच्चे की मां बनी थीं। इसी दौरान उन्होंने मैनहेट्टन ब्रदर्स नाम के ग्रुप के साथ गाना शुरू किया था। उनकी निजी जिंदगी काफी उतार चढ़ाव भरी रही। उन्होंने 4 शादियां की थीं।
श्वेत सरकार के लिए मुसीबत बने माकेबा के गाने
माकेबा ने रंगभेद के खिलाफ अपने गुस्से को आधुनिक संगीत से जोड़कर पश्चिम के देशों तक पहुंचाया था। माकेबा का कहना था कि वह अश्वेत समुदाय के साथ हो रहे उत्पीड़न पर पेशेवर सोच के साथ गाने नहीं बना रही हैं, बल्कि वह सिर्फ अपने अनुभवों को बता रही हैं। अफ्रीका की श्वेत सरकार ने माकेबा की आवाज को दबाने की भरपूर कोशिश की थी। सरकार ने उनके गानों पर प्रतिबंध लगाए और उनकी नागरिकता भी छीन ली।
संयुक्त राष्ट्र में माकेबा ने बुलंद की आवाज
माकेबा ने संयुक्त राष्ट्र में भी अफ्रीका में हो रहे रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाई थी। संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में माकेबा ने कहा था कि अफ्रीका की अल्पसंख्यक श्वेत सरकार ने अमेरिका से जो हथियार खरीदे हैं, उन्हें अश्वेत समुदायों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा। उनका इस्तेमाल खासकर, अश्वेत महिलाओं के खिलाफ होगा। उनके इस भाषण से अफ्रीकी सरकार तिलमिला गई थी। इसके बाद ही सरकार ने उन्हें देश में आने से प्रतिबंधित कर दिया था।
गाते-गाते ही ली अंतिम सांस
माकेबा 1990 में रंगभेद खत्म होने के बाद अपने देश लौटी थीं। 2008 में इटली में एक कॉन्सर्ट में गाते वक्त उन्हें हार्ट अटैक आ गया था, जिससे वहीं उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके निधन पर नेल्सन मंडेला ने कहा था, "उनके संगीत ने लोगों के विस्थापन के दर्द को बयान किया, जो उन्होंने इतने सालों तक झेला था। इसके साथ ही उनके गानों ने हम सभी के अंदर उम्मीद की लौ जगाई थी।"
माकेबा को श्रद्धांजलि देता है यह गाना
उम्मीद है अब जब भी आप इस गाने को अपने रील में डालेंगे तो आपको यह क्रांतिकारी कहानी याद रहेगी। 'उये माकेबा' 2015 में आया था। यह गायिका जेन के डेब्यू एल्बम 'जनाका' का हिस्सा है। इंस्टाग्राम रील्स में गाने की पहली कुछ लाइनें ही फीचर होती हैं, लेकिन अगर आप पूरा गाना सुनेंगे तो यह मिरियम माकेबा की बहादुरी को सलाम करना है और उन्हें श्रद्धांजलि देने वाला है।