'मंथन' ने रचा इतिहास, देशभर में रिलीज होने वाली बनी पहली रिस्टोर्ड भारतीय फिल्म
साल 1976 में भारतीय सिनेमा ने एक बेहतरीन फिल्म का निर्माण करके इतिहास रच दिया था। यह फिल्म और कोई नहीं बल्कि इस साल 'कान्स फिल्म फेस्टिवल' के 77वें संस्करण में धमाल मचाने वाली फिल्म 'मंथन' है। कान्स में तालियां पाने वाली इस फिल्म ने एक बार फिर इतिहास के पन्नों में अपना नाम लिख दिया है। दरअसल, 'मंथन' पहली रिस्टोर्ड भारतीय फिल्म है, जो देशभर में रिलीज की जाएगी। चलिए जानते हैं क्या है पूरी खबर।
इतिहास के पन्नों में फिर नाम दर्ज करने को तैयार 'मंथन'
श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी कालजयी फिल्म 'मंथन' करीब आधी सदी बाद एक बार फिर इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराने के लिए तैयार है। 1 जून को देशभर में रिलीज होने के साथ, यह 50 शहरों में दिखाई जाने वाली पहली रिस्टोर की गई भारतीय फिल्म बन जाएगी। यह एक शानदार उपलब्धि है, जिससे देश में फिल्म संरक्षण और प्रदर्शन के नियमों को फिर से स्थापित करने की उम्मीद है।
पुरानी फिल्में के लिए जगी उम्मीदें
'मंथन' को ये नया जीवन फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक और फिल्म निर्माता शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर की मदद से मिला है। उन्होंने कहा, "खंडहर से रिस्टोर की गई किसी भी भारतीय फिल्म को 50 शहरों के 100 सिनेमाघरों में कभी भी देशव्यापी रिलीज नहीं मिली है।" सबका कहना है कि 48 साल पुरानी फिल्म का बड़े पैमाने पर रिलीज होना, भारत के विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं में खंडहर के रूप में पड़ी हमारी कालजयी फिल्मों के लिए नई उम्मीद है।
'मंथन' की कहानी क्या है?
'मंथन', श्वेत क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉक्टर वर्गीज कुरियन के दुग्ध सहकारी आंदोलन से प्रेरित फिल्म थी। यह फिल्म उनकी बायोपिक नहीं थी, लेकिन इसकी कहानी का मूल वही था। इस फिल्म में काल्पनिक कहानी के जरिए दिखाया गया है कि कैसे भारत दूध की कमी वाले देश से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक में तब्दील हुआ। 'मंथन' में स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड, अमरीश पुरी, कुलभूषण खरबंदा, अनंत नाग और मोहन आगाशे जैसे कलाकार हैं।
क्राउडफंडिंग से बनी 'मंथन'
यह फिल्म भारतीय सिनेमा के लिए बहुत खास है। दरअसल, 'मंथन' पहली भारतयी फिल्म थी, जिसे क्राउडफंडिंग का इस्तेमाल करके बनाया गया था (जिसे चंदा लेकर बनाया गया था)। जब बेनेगल ने फिल्म बनाने का विचार किया तो उन्हें निर्माता नहीं मिले और कुरियन ने उन्हें किहानों से पैसे लेने का सुझाव दिया था। ऐसे में उन्होंने गुजरात के 5 लाख किसानों से 2-2 रुपये चंदा लेकर इस फिल्मों को बनाने के लिए पैसे इकट्ठा किया थे।
2 बार मिला 'राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार'
बता दें, भारत की ओर से 'मंथन' की एंट्री ऑस्कर पुरस्कार में भी हुई थी। इतना ही नहीं बेनेगल को 'मंथन' के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म और विजय तेंदुलकर को सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। 'मंथन' ने कई बार भारत को गौरवान्वित किया।