#NewsBytesExplainer: कैसे तय होता है फिल्मों का बजट? जानिए पूरा लेखा-जोखा
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, सिनेमा जगत में हर साल कई फिल्में रिलीज होती हैं, जिनके निर्माण में बजट सबसे अहम भूमिका निभाता है। किसी फिल्म को बनाने में 100 करोड़ से भी ज्यादा की लागत आती है तो कोई 10 करोड़ से भी कम बजट में बनकर तैयार हो जाती है। ऐसे में क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि आखिर फिल्मों का बजट तय कैसे होता है? आइए जानते हैं फिल्म के बजट का पूरा लेखा-जोखा।
अलग-अलग हिस्सों में बंटा है बजट
किसी भी फिल्म के निर्माण से पहले उसके बजट पर चर्चा होती है, जिसे अलग-अलग हिस्सों में बांटकर उन्हें नाम दिए गए हैं। सबसे पहले आता है 'एबव द लाइन' फिर 'बिलो द लाइन', प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन और आखिरी हिस्से में फिल्म से जुड़ी चीजों के बीमे आदि को रखा जाता है। इन्हीं के अंदर निर्देशक और सितारों की फीस से लेकर फिल्म से जुड़ी हर चीज के खर्चे को पूरा लेखा-जोखा रहता है।
एबव द लाइन
एबव द लाइन में फिल्म के बड़े खर्चों को देखा जाता है। इसमें फिल्म की स्क्रिप्ट, निर्देशक, निर्माता और कलाकारों पर खर्च होने वाले पैसे को जोड़ा जाता है। सबसे पहले इसमें स्क्रिप्ट पर बात होती है और इसे लिखने वाले दी गई फीस बजट का हिस्सा बन जाती है। यदि किसी की बायोपिक बन रही है तो उस व्यक्ति या उसके परिवार से बायोपिक के लिए अधिकार लेकर पैसे दिए जाते हैं, जो बजट में शामिल हो जाते हैं।
ऐसे समझिए
किसी फिल्म को बनाने के लिए मान लीजिए की उसकी स्क्रिप्ट पर 5 लाख खर्च हुए हैं और उसका बजट 10 करोड़ में तय हुआ है तो फिल्म में ऐसे सितारों को लिया जाएगा, जिनकी फीस बजट के अंदर हो। शाहरुख खान और सलमान खान जैसे इंडस्ट्री के कई बड़े सितारे, जिनकी फीस ही बजट से ज्यादा हो उन्हें इसके लिए पूछा ही नहीं जाता है। ऐसे में बजट को ध्यान में रखते हुए ही सितारों का चयन होता है।
बिलो द लाइन
इसमें फिल्म के उन लोगों के खर्चों को रखा जाता है जो प्रोडक्शन से पहले और बाद में काम आते हैं, लेकिन फिल्म का अहम हिस्सा होते हैं। इसमें सहायक निर्देशक, आर्ट निर्देशक, साउंड इंजीनियर जैसे बहुत से लोग शामिल हैं, जो अच्छी खासी फीस लेते हैं। इनके अलावा हेयरस्टाइलिस्ट और एडिटर को भी तगड़ी फीस मिलती है। ऐसे में निर्माता, निर्देशक और सितारों को छोड़कर यह भी एक बड़ी टीम होती है, जिसका बजट तय करना जरूरी होता है।
VFX से बढ़ा पहले के मुकाबले बजट
पहले की फिल्मों में VFX यानी विजुअल एफेक्ट का ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता था, लेकिन अब यह अहम भूमिका निभाते हैं। अब VFX के जरिए फिल्मों में वो सीन भी आसानी से दिखाए जाते हैं, जिसे पहले शूट करना मुश्किल है। हाल ही में आई शाहरुख की फिल्म की बात करें तो बजट का बहुत बड़ा हिस्सा 'पठान' के VFX पर खर्च हुआ था। इंडिया टुडे के मुताबिक, फिल्म के प्रोडक्शन पर ही 150 करोड़ रुपये खर्च हो गए थे।
बीमा पर भी खर्च होते हैं करोड़ों
अब फिल्मों का खर्च पहले के मुकाबले बढ़ता जा रहा है और बजट का एक बड़ा हिस्सा बीमा पर खर्च होता है। यह बीमा देश-विदेश में शूटिंग के दौरान होने वाले हादसों के लिए किया जाता है। ऐसे में कैमरे और फिल्म से जुड़ी कई महंगी चीजों का बीमा होता है। इसमें विज्ञापन पर किए जाने वाले खर्च को भी जोड़ा जाता है। अगर शूटिंग के लिए स्टूडियो किराए पर लिया है तो उसे भी इसी में रखा जाता है।
मार्केटिंग पर भी होता है खूब खर्चा
किसी भी फिल्म को रिलीज करने से पहले उसकी मार्केटिंग की योजना तय की जाती है, जिसमें लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। फिल्म के बजट के हिसाब से ही मार्केटिंग का बजट तय होता है और इसका असर फिल्म के प्रदर्शन पर भी पड़ता है। 'आदिपुरुष' का बजट 600 करोड़ बताया जा रहा है और ऐसे में इसकी मार्केटिंग पर खूब पैसा खर्च हो रहा है। ट्रेलर लॉन्च के दौरान प्रशंसकों के लिए स्क्रीनिंग रखी गई, जो इसका हिस्सा है।
कॉपीराइट की भी अहम भूमिका
किसी भी फिल्म के कॉपीराइट पर भी उसका बजट निर्भर करता है। फिल्म को किस प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना है उसके हिसाब से कॉपीराइट तय किया जाता है। फिल्म में इस्तेमाल हुए ऑडियो, वीडियो और विजुअल एफेक्ट का भी अलग से कॉपीराइट होता है।