#NewsBytesExplainer: 'साइबर अपहरण' क्या होता है और इससे कैसे बचें?
क्या है खबर?
भारत समेत दुनियाभर में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
इन्हें अंजाम देने के लिए नए-नए तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डीपफेक जैसी तकनीकें भी शामिल है।
इसी कड़ी में हाल ही में अमेरिकी पुलिस ने एक ऐसे चीनी छात्र को ढूंढा, जिसका 'साइबर अपहरण' किया गया था।
आइए जानते हैं कि साइबर अपहरण क्या होता है और इससे आप कैसे बच सकते हैं।
साइबर अपराध
सबसे पहले जानें साइबर अपराध क्या होता है
इंटरनेट जैसे संचार के किसी डिजिटल माध्यम या उपकरण के जरिए किए जाने वाले अपराध को साइबर अपराध कहा जाता है। इसे कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य नेटवर्क उपकरणों के माध्यम से अंजाम दिया जाता है।
साइबर अपराध कई प्रकार के होते हैं। इनमें फिशिंग, रैनसमवेयर, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, पहचान की चोरी, ऑनलाइन ठगी, साइबर स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी और सॉफ्टवेयर चोरी आदि शामिल हैं।
ये जरूरी नहीं है कि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही साइबर अपराध हो।
अपहरण
साइबर अपहरण क्या होता है?
साइबर अपहरण में किसी व्यक्ति का वास्तव में अपहरण नहीं होता, बल्कि उसके परिवार को अपहरण होने का आभास करवाया जाता है।
शातिर AI और डीपफेक की मदद से "अपहृत शख्स" की आवाज में कॉल करते हैं या वीडियो और फोटो भेजते हैं। इसके बाद वे परिजनों से उसे छोड़ने के लिए पैसे की मांग करते हैं।
अक्सर डर की वजह से परिजन पैसा दे देते हैं और बाद में उन्हें पता चलता है कि अपहरण हुआ ही नहीं था।
दूसरा तरीका
इस तरीके से भी किया जाता है साइबर अपहरण
साइबर अपहरण का एक और तरीका है, जिसमें छात्रों को निशाना बनाया जाता है।
इसमें जालसाज सबसे पहले छात्र और उसके परिजनों को कॉल कर एक-दूसरे के खतरे में होने की बात कहते हैं।
फिर वे परिजनों की सलामती का हवाला देकर छात्र को खुद को दुनिया से काटने पर मजबूर कर देते हैं और इस बीच परिजनों से ये कहकर पैसा ऐंठते रहते हैं कि उन्होंने छात्र का अपहरण कर लिया है।
अमेरिका में आया मामला ऐसा ही है।
मामला
अमेरिका में आया मामला क्या है?
अमेरिका की पुलिस के अनुसार, उसे 28 दिसंबर को चीनी छात्र काई जुआंग (17 वर्षीय) का अपहरण होने की सूचना मिली थी। खोजबीन करने पर जुआंग 2 जनवरी को यूटा के जंगल में मिला, जहां वो भीषण ठंड में कैंप लगाकर अकेला रह रहा था।
चीन में बैठे उसके माता-पिता को पूरा यकीन था कि उनका बेटे का अपहरण हुआ है और उन्होंने अपहरणकर्ताओं के धमकाने पर 80,000 डॉलर (करीब 66.5 लाख रुपये) चीनी बैंक खातों में ट्रांसफर किए थे।
कौन टारगेट
छात्रों को ही क्यों निशाना बनाते हैं साइबर अपराधी?
साइबर अपहरणकर्ता अपने परिवार से दूर विदेशों में पढ़ने वालों छात्रों को सबसे अधिक निशाना बनाते हैं।
इसकी वजह है कि वह आसान शिकार होते हैं और उन्हें मनोवैज्ञानिक तौर पर आसानी से कुछ भी करने को तैयार किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इंटरनेट युग ने साइबर अपहरण जैसी योजनाओं को काफी आसान बना दिया है और छात्रों के साइबर अपहरण के कई मामले सामने आए हैं।
हालांकि, इस संबंध में कोई स्पष्ट डाटा मौजूद नहीं है।
कैसे बचें?
साइबर अपहरण से कैसे बचें?
साइबर अपहरण से बचने का सबसे अच्छा तरीका इस तरह के कॉल को रिसीव नहीं करना है।
अगर अपहरणकर्ताओं की कॉल आपने उठाई है और दूसरी तरफ से आपके किसी परिचित की आवाज सुनाई देती है तो संयम बरतें।
सोशल मीडिया या किसी अन्य मोबाइल नंबर पर अपने परिचित से संपर्क करने की कोशिश करें और कॉल के माध्यम से उस तक पहुंचने का प्रयास करें।
इस बारे में नजदीकी साइबर अपराध सेल को भी सूचना दें।
अपराध
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इसका सबसे बड़ा कारण देश में तेजी से हो रहा बैंकिग समेत अन्य सेवाओं का डिजिटिलाइजेशन है।
देश में साल दर साल साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। इसमें लोगों को ईमेल या मैसेज के माध्यम से बैंकिंग जुड़ी जानकारी साझा करने को कहा जाता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में साइबर ठगी के 65,893 और 2021 में 52,974 मामले सामने आए।