कन्नड़ अभिनेता-राजनेता शिवराम का निधन, ऐसा रहा उनका फिल्मी और राजनीतिक सफर
दक्षिण भारतीय सिनेमा के एक दुखद खबर सामने आई है। दरअसल, कन्नड़ सिनेमा के जाने-माने अभिनेता, राजनेता और पूर्व IAS अफसर के. शिवराम का निधन हो गया है। 29 फरवरी को 70 साल की उम्र में उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह पिछले लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। शिवराम फिल्मों के साथ राजनीति में अपने योगदान के लिए जाने जाते थे। आइए उनसे जुड़ी खास बातें जानते हैं।
जब के. शिवराम ने रचा था इतिहास
शिवराम ने 1985 में पुलिस उपाधीक्षक की भूमिका निभाते हुए कर्नाटक प्रशासनिक सेवा (KAS) का पेपर पास किया था, जिसके बाद उन्होंने कन्नड़ में UPSC परीक्षा पास की। इस सफलता को पाने वाले पहले व्यक्ति बनकर शिवराम ने इतिहास रच दिया था। 2013 में शिवराम ने IAS के पदभार से सेवानिवृत्त होकर राजनीति में प्रवेश किया था। कई साल तक अभिनेता कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे और बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
ऐसा रहा शिवराम का फिल्मी सफर
शिवराम ने 1993 में आई फिल्म 'बा नल्ले मधुचंद्रके' के जरिए अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसके निर्देशन की कमान नागथिहल्ली चन्द्रशेखर ने संभाली थी। इसके बाद वह 'वसंत काव्य','खलानायका', 'यारिगे बेदा डुड्डू', 'गेम फॉर लव', 'नागा', 'ओ प्रेमा देवाथे' और 'सांगलियाना भाग-3' जैसी फिल्मों में नजर आए। उन्हें आखिरी बार 'टाइगर' में देखा गया था। यह फिल्म 2017 में रिलीज हुई थी। 1999 में आई फिल्म 'प्रतिभताने' की कहानी भी शिवराम ने लिखी थी।