उत्तर प्रदेश: विश्वविद्यालयों के शिक्षकों की अब लगेगी बायोमेट्रिक अटेंडेंस, इसी आधार पर मिलेगा वेतन
उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था बेहतर करने के लिए अब राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के लिए एक नया नियम लागू किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने फैसला ऐलान किया है कि राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की अटेंडेंस अब बायोमेट्रिक के माध्यम से ली जाएगी। अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि यह बायोमेट्रिक सिस्टम ऑनलाइन किया जाएगा और रजिस्टर में हस्ताक्षर करने की व्यवस्था खत्म कर दी जाएगी।
शिक्षकों के साथ-साथ विश्वविद्यालय के कर्मचारियों पर भी लागू होगा बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम
बता दें कि राज्य में बायोमेट्रिक सिस्टम की व्यवस्था सिर्फ शिक्षकों ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों पर भी लागू की जाएगी और इसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को पे-मास्टर या वेतन भुगतान सिस्टम से लिंक किया जाएगा।
जून से बायोमेट्रिक अटेंडेंस के आधार पर मिलेगा वेतन
राज्यपाल की तरफ से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को भेजे गए पत्र में सूचित किया गया है कि अगले माह जून का वेतन बायोमेट्रिक अटेंडेंस के आधार पर ही तैयार किया जाएगा। पत्र में शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि सभी विश्वविद्यालयों में यह व्यवस्था 30 मई तक अनिवार्य रूप से स्थापित कर दी जाए ताकि जून का वेतन भुगतान इसी प्रणाली से शुरू हो सके।
राज्यपाल ने पर्याप्त संख्या में बायोमेट्रिक मशीनें लगाने के निर्देश दिए
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि इस प्रणाली को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए और इसके लिए विश्वविद्यालयों में पर्याप्त संख्या में बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जाएं जिसमें कि चेहरा और अंगूठा दोनों ही पहचानने की क्षमता हो। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और कर्मचारियों की अटेंडेंस का एक केंद्रीकृत सर्वर भी लगाया जाना चाहिए ताकि उस पर सारा डाटा उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही उन्होंने उपकरणों के सुचारू संचालन की भी हिदायत दी है।
बायोमेट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था विश्वविद्यालयों में क्यों लागू की जा रही है?
बता दें कि राजभवन में एक समीक्षा बैठक हुई थी, जिसमें शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की अनियमित उपस्थिति का मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में बायोमेट्रिक मशीन लगवाई जाएंगी। दरअसल, ऐसा देखा गया है कि शिक्षक और अन्य कर्मचारी कामकाज के समय में ऑफिस में मौजूद नहीं होते और कई कर्मचारी सुबह ऑफिस आते तो हैं, लेकिन दोपहर में घर वापस चले जाते हैं।