CBSE Exams 2019: डबल इन्क्रिप्टेड पेपर का नहीं होगा इस्तेमाल, पारंपरिक तरीके से ही होंगी परीक्षाएं
क्या है खबर?
अगर आप भी इस बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की परीक्षाओं में शामिल होने वाले हैं तो आपको बता दें कि CBSE 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं पारंपरिक तरीके से ही आयोजित कराएगा।
पहले कहा जा रहा था कि इस बार परीक्षा डबल इन्क्रिप्टेड पेपर के माध्यम से होंगी।
बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी के मध्य से शुरू होंगी। पहले व्यावसायिक कोर्स संबंधी परीक्षाएं होंगी, फिर मार्च में शैक्षणिक विषयों की परीक्षाएं होंगी।
आइए जानें क्या है पूरा मामला।
डबल इन्क्रिप्टेड
बैकअप विकल्प के तौर पर होगा इस्तेमाल
CBSE ने पहले फैसला किया था कि परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्रों की हार्ड कॉपी की बजाय उन्हें ई-लिंक और सीडी के ज़रिए पेपर भेजा जाएगा। इसके बाद पेपर का प्रिंट परीक्षा केंद्रों पर ही निकाला जाएगा।
ये फैसला पेपर लीक मामले को देखते हुए लिया गया था। लेकिन अब 2019 की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान इस समाधान को केवल एक बैकअप विकल्प के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाएगा।
परीक्षा केंद्र
पहले की तरह ही परीक्षा केंद्रों पर पहुंचाएं जाएंगे प्रश्न पत्र
सरकारी सूत्रों के अनुसार अब बोर्ड पहले की तरह ही परीक्षा केंद्रों पर पेपर पहुंचाएगा और यह आगे भी जारी रहेगा।
2018 में बोर्ड परीक्षाओं के पेपर लीक होने के बाद CBSE ने जुलाई, 2018 में 10वीं की कंपार्टमेंटल परीक्षा मे डबल इन्क्रिप्टेड पेपर का आरंभिक परीक्षण किया था।
उनको परीक्षा केंद्र पर ही प्रिंट किया गया था। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित की गई समिति ने भी पेपरों की डिलिवरी में टेक्नॉलजी के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया था।
जानकारी
30 मिनट पहले भेजे गए थे प्रश्न पत्र
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ई-मेल के ज़रिए परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा से 30 मिनट पहले ही प्रश्न पत्र उपलब्ध कराए गए थे। जबकि अलग मेल के ज़रिए उनके पासवर्ड, परीक्षा हॉल के निरीक्षक को भेजे गए थे।
बयान
क्या कहा अधिकारी ने
इस तकनीक का इस्तेमाल बोर्ड इस साल फरवरी के मध्य में होने वाले वोकेशनल कोर्स की परीक्षाओं में करने के बारे में सोचेगा। जहां छात्रों की संख्या कम होगी।
अधिकारी ने कहा कि फिलहाल दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित कई केंद्रों पर ज़रूरी सुविधाएं नहीं हैं जिस कारण डबल इन्क्रिप्टेड प्रश्न पत्रों की डिलिवरी संभव नहीं है।
साथ ही जिस केंद्र पर 1,000 छात्र होंगे, वहां केवल 30 मिनट में 16,000 प्रश्न पत्र प्रिंट करना संभव नहीं होगा।