UPSC में सफलता के लिए कितने फायदेमंद होते हैं क्रैश कोर्स? यहां समझिए
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) की तैयारी के लिए अधिकांश छात्र क्रैश कोर्स में नामांकन करवाते हैं। ये क्रैश कोर्स अल्पकालिक होते हैं, इनमें 3 से 4 महीने की समय-सीमा में पाठ्यक्रम को कवर किया जाता है। इसमें विषय से संबंधित कक्षाएं और मॉक टेस्ट शामिल होते हैं। हालांकि, कोर्स की सफलता दर को लेकर अधिकांश छात्र असमंजस में रहते हैं। आइए जानते हैं कि UPSC की तैयारी में क्रैश कोर्स कितने फायदेमंद होते हैं।
क्रैश कोर्स और फुल कोर्स में अंतर
क्रैश कोर्स केवल कुछ हफ्ते या महीनों तक चलते हैं, जबकि फुल कोर्स पाठ्यक्रम के प्रकार के आधार पर 1 साल से ज्यादा समय के लिए भी चल सकते हैं। क्रैश कोर्स में कम समय में अधिकांश विषयों को कवर करवाया जाता है। फुल कोर्स में छात्रों को हर महत्वपूर्ण विषय को कवर करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। क्रैश कोर्स की लागत फुल कोर्स की तुलना में काफी कम होती है।
क्रैश कोर्स के फायदे
क्रैश कोर्स में छात्रों की सीखने की गति बेहतर होती है। इसमें बिना किसी अंतराल के छात्रों को प्रतिदिन नई-नई जानकारी बताई जाती है। क्रैश कोर्स की सफलता दर अधिक होती है। इसमें उम्मीदवारों को कम समय में UPSC परीक्षा पास करने के लिए केवल उपयोगी सामग्री ही पढ़ाई जाती है। क्रैश कोर्स परीक्षा के नजदीक आते ही शुरु होते हैं। इससे आपने जो चीजें सीखी हैं, उन्हें भूलने की आशंका कम होती है।
क्रैश कोर्स के नुकसान
क्रैश कोर्स में बुनियादी अवधारणाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। इन कोर्स में एक दिन में घंटों तक कक्षाएं चलती हैं, इसकी वजह से कई छात्र मानसिक दबाव से जूझ सकते हैं। फुल कोर्स में जितने क्षेत्रों को कवर किया जाता है, उतने क्षेत्र क्रैश कोर्स में शामिल नहीं होते। ऐसे में छात्र कई बुनियादी जानकारियों से अनभिज्ञ रह सकते हैं। क्रैश कोर्स छात्रों को पर्याप्त अभ्यास करने में मदद नहीं करते।
आपके लिए क्या है सही?
सकारात्मक पक्ष: अगर आप फुल कोर्स पूरा कर चुके हैं और परीक्षा के लिए केवल उपयोगी सामग्री पढ़ना चाहते हैं तो क्रैश कोर्स में नामांकन करवा सकते हैं। ये आदर्श रूप से उन लोगों के लिए है, जिनके पास परीक्षा के लिए बहुत कम समय शेष है। नकारात्मक पक्ष: क्रैश कोर्स में कम समय में ज्यादा विषयों को कवर करना होगा। इससे मूल अवधारणाओं को समझने में दिक्कत होगी। कोर्स की तेज गति हर उम्मीदवार के लिए उपयुक्त नहीं होती।