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    हमेशा के लिए थमी जेट एयरवेज की उड़ान, जानें अर्श से फर्श पर आने की कहानी
    सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज की लिक्वेडेशन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है

    हमेशा के लिए थमी जेट एयरवेज की उड़ान, जानें अर्श से फर्श पर आने की कहानी

    लेखन आबिद खान
    Nov 07, 2024
    05:59 pm

    क्या है खबर?

    कभी देश की अग्रणी एयरलाइन रही जेट एयरवेज की उड़ान अब हमेशा के लिए थम गई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के लिक्वेडेशन (संपत्ति बेचने की प्रक्रिया) को शुरू करने का आदेश दिया है।

    पहले ऐसा माना जा रहा था कि इस साल के आखिर तक इस कंपनी के विमान फिर से आसमान में दिखाई देंगे, लेकिन अब कंपनी हमेशा के लिए बंद हो गई है।

    आइए जानते हैं जेट एयरवेज के अर्श से फर्श पर आने की कहानी।

    शुरुआत

    कैसे हुई जेट एयरवेज की शुरुआत?

    5 मई, 1993 को जेट एयरवेज ने अपनी पहली उड़ान मुंबई से अहमदाबाद के लिए भरी थी। तब टिकट एजेंट से उद्यमी बने नरेश गोयल ने एयर टैक्सी के रूप में कंपनी को शुरू किया था।

    बोइंग 737 और बोइंग 300 समेत 4 जहाजों से कंपनी ने अपनी उड़ानें शुरू की थीं। जेट एयरवेज फुल कैरियर सेवाएं देने वाली देश की पहली निजी एयरलाइंस थी।

    धीरे-धीरे कंपनी देश की अग्रणी विमान कंपनी बन गई।

    उड़ानें

    कभी रोजाना 650 उड़ानें संचालित करती थी जेट एयरवेज

    अपनी सफलता के उच्चतम स्तर पर जेट एयरवेज के पास 120 से भी ज्यादा विमान थे और ये रोजाना देश-विदेश के अलग-अलग शहरों के लिए 650 से ज्यादा उड़ानों का संचालन करती थी।

    कंपनी का मार्केट शेयर 21 प्रतिशत तक पहुंच गया था। यानी कुल हवाई यात्रियों के 21 प्रतिशत केवल जेट एयरवेज से सफर करते थे।

    साल 2017 के आसपास कंपनी के साथ 16,000 से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हुए थे।

    पतन

    कैसे शुरू हुआ पतन?

    जेट एयरवेज ने 2006 में खस्ताहाल एयर सहारा को 2,250 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि में खरीदा था। बाद में एयर सहारा डूब गई।

    इसी दौरान बाजार में स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी किफायती एयरलाइंस ने कदम रखे। जेट एयरवेज को इनसे कड़ी टक्कर मिली और कंपनी प्रतिस्पर्धा से धीरे-धीरे बाहर होती गई।

    2012 में इंडिगो ने जेट एयरवेज को पछाड़कर मार्केट शेयर के लिहाज से पहले स्थान पर कब्जा कर लिया।

    कर्ज

    बढ़ता गया कर्ज का दबाव

    जेट एयरवेज 2005 से बैंकों के एक समूह (कंजोर्टियम) से कर्ज ले रहा था, जिसका नेतृत्व भारतीय स्टेट बैंक (SBI) कर रहा था।

    अप्रैल 2019 तक कंपनी पर 26 बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया। 2018 में कंपनी ने कर्मचारियों के वेतन में 25 प्रतिशत की कटौती की।

    लगातार खराब होती हालत के बीच नरेश गोयल ने 2019 में पत्‍नी के साथ कंपनी के बोर्ड से इस्‍तीफा दे दिया।

    आखिरी उड़ान 

    17 अप्रैल, 2019 को भरी आखिरी उड़ान

    मार्च 2019 तक कंपनी का घाटा 5,535.75 करोड़ रुपए का हो चुका था। कंपनी लोन की किश्त भी नहीं भर पा रही थी।

    आखिरकार 17 अप्रैल, 2019 को कंपनी ने अमृतसर से मुंबई के लिए अपनी आखिरी उड़ान भरी।

    अगले ही दिन यानी 18 अप्रैल को अपनी उड़ानें रद्द करते हुए कंपनी ने कहा कि उसके पास संचालन के लिए पैसा नहीं है और कर्ज नहीं मिल पाने के कारण वह अपने उड़ानों का संचालन जारी नहीं रख सकती।

    नरेश गोयल को जेल 

    गड़बड़ी के आरोप में जेल भी गए नरेश गोयल

    सितंबर, 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नरेश गोयल को गिरफ्तार किया था। गोयल पर 538 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप था।

    दरअसल, कैनरा बैंक ने जेट एयरवेज के खिलाफ शिकायत की थी, जिसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही थी। CBI ने गोयल के दफ्तर, उनकी पत्नी अनीता और जेट के निदेशक के घर पर छापे मारे थे।

    CBI की FIR के आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।

    फैसला

    अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?

    जेट एयरवेज के बंद होने के बाद दिवाला कार्यवाही शुरू हुई थी।

    2020 में कारोबारी मुरारी लाल जालान और लंदन स्थित कलारोक कैपिटल ने 4,783 करोड़ रुपये में कंपनी के पुनरुद्धार की योजना पेश की थी।

    इस बीच विवाद चलते रहे और 2024 में राष्‍ट्रीय कंपनी विधि न्‍यायाधिकरण (NCLAT) ने जेट एयरवेज के स्वामित्व को जालान​​​-​कालरॉक कंसोर्टियम को सौंपने की अनुमति दे दी।

    इसे ऋणदाताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।

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