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    भारतीय स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में 77 प्रतिशत की गिरावट

    भारतीय स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में 77 प्रतिशत की गिरावट
    लेखन रजनीश
    Feb 28, 2023, 07:10 pm 1 मिनट में पढ़ें
    भारतीय स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में 77 प्रतिशत की गिरावट
    भारत के स्टार्टअप को मिलने वाली फंडिंग में भारी कमी देखने को मिल रही है (तस्वीर: अनस्प्लैश)

    भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए निजी इक्विटी और वेंचर कैपिटल (PE/VC) फंडिंग एक साल पहले की तुलना में फरवरी में 77 प्रतिशत गिर गई। इसके पीछे की वजह वैश्विक मंदी और अनिश्चितता के दौर में निवेशकों की तरफ से निवेश को लेकर सावधान रहना है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी, 2023 में देश का स्टार्टअप इकोसिस्टम वर्तमान में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। फरवरी, 2022 में लगभग 500 अरब के 308 सौदे हुए थे।

    स्टार्टअप्स के लिए 'फंडिंग विंटर' साबित हुआ जनवरी

    फरवरी, 2023 में कुल 100 अरब के केवल 91 सौदे हुए हैं। जनवरी से फरवरी 2023 तक स्टार्टअप्स 258 सौदों में सिर्फ लगभग 250 करोड़ रुपये जुटा पाए, जबकि सालभर पहले 682 सौदे हुए थे और स्टार्टअप्स ने लगभग 900 करोड़ रुपये जुटाए थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी में PE/VC फंडिंग 5 साल के निचले स्तर पर आ गई थी। जनवरी में इसका अधिक खामियाजा (फंडिंग विंटर) देखा गया और यह आगे भी बना रहा।

    निवेशकों ने कंपनियों को यूनिट इकोनॉमिक्स ठीक करने पर जोर दिया 

    लिशियस, फस्टक्राई, एक्सप्रेसबी और बिनेंसएशिया जैसी कंपनियों में शुरुआती दौर के निवेशक और वर्टेक्स वेंचर्स के जनरल पार्टनर पीयूष खरबंदा ने कहा, "स्टार्टअप्स के सौदे अक्टूबर और नवंबर के आसपास कम होने लगे थे। इस दौरान निवेशकों ने निवेश करने की जगह उन कंपनियों को अपना यूनिट इकोनॉमिक्स ठीक करने लिए कहना शुरू कर दिया था।" वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में भी स्टार्टअप्स के लिए कम फंडिग देखी गई।

    सॉफ्टबैंक ने अभी तक नहीं किया एक भी सौदा

    एक दिलचस्प बात यह रही कि पारंपरिक निजी बैंकों ने फरवरी में फंडिंग राउंड में भाग लिया, जिसमें HDFC बैंक, ICICI बैंक, कोटक महिंद्रा ने एक सौदा किया। पिछली फरवरी में Y कॉम्बिनेटर, एक्सेल, कलारी कैपिटल और A91 जैसे अन्य शुद्ध VC निवेशक फंडिंग परिदृश्य पर हावी रहे। सॉफ्टबैंक भारत के टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक नए निवेशक के तौर पर बढ़िया उम्मीद लग रहा था, लेकिन इस साल अभी तक उसने एक भी सौदा नहीं किया।

    फंड की कमी से दिवालिया नहीं होना चाहते निवेशक

    इंफ्लेक्शन पॉइंट वेंचर्स के सह-संस्थापक अंकुर मित्तल के मुताबिक, सौदों में निवेश कम होने के कारणों में से एक तो ये है कि निवेशक अपने मौजूदा पोर्टफोलियो की देखभाल कर रहे हैं। निवेशक नहीं चाहते कि वे फंडिंग की कमी के कारण दिवालिया हो जाएं। हालांकि, मित्तल का मानना है कि फंडिंग का मौजूदा माहौल निवेशकों के लिए उपयुक्त है। उन्होंने कहा, "हमारे पास अच्छी गुणवत्ता वाले जो सौदे आते हैं तो हमारे पास अधिक समय लेने का मौका है।"

    100 करोड़ से ज्यादा वैल्यूएशन वाली कंपनी होती हैं यूनिकॉर्न

    2022 में 23 भारतीय कंपनियों को यूनिकॉर्न का स्टेटस मिला था। हालांकि, यह संख्या 2021 के मुकाबले कम थी। वर्ष 2021 में 44 भारतीय स्टार्टअप कंपनियां यूनिकॉर्न बनी थीं। 100 करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यूएशन वाली कंपनियों को यूनिकॉर्न कहा जाता है।

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