गूगल ने विविधता आधारित नियुक्ति कार्यक्रमों को किया समाप्त, मेटा भी ले चुकी है ऐसा फैसला
क्या है खबर?
गूगल ने अपने विविधता, समानता और समावेशन (DEI) कार्यक्रमों को खत्म करने का निर्णय लिया है।
यह कदम मेटा की तरह है, जिसने पहले ही अपने समान कार्यक्रमों को बंद कर दिया था।
गूगल के CEO सुंदर पिचई ने 2020 में कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों से अपने नेतृत्व में 30 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य तय किया था, लेकिन अब गूगल ने इन लक्ष्यों को समाप्त कर दिया है और भविष्य में ऐसे लक्ष्यों को अपनाने का विचार नहीं है।
बदलाव
गूगल के DEI लक्ष्यों में बदलाव
गूगल ने पहले अपने कर्मचारियों में अधिक विविधता लाने के लिए कई कदम उठाए थे।
2020 में गूगल ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए 2025 तक कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों से 30 प्रतिशत अधिक लीडर्स को शामिल करने का लक्ष्य रखा था।
हालांकि, अब गूगल ने यह लक्ष्यों को खत्म कर दिया है और अपने DEI कार्यक्रमों की समीक्षा शुरू कर दी है। इससे गूगल की नीति में बदलाव और आने वाले समय में नई दिशा दिख रही है।
फैसला
गूगल और मेटा का कदम अमेरिकी कंपनियों का हिस्सा
गूगल और मेटा के इस कदम को एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो अन्य अमेरिकी कंपनियों में भी हो रहा है।
विशेष रूप से 2023 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, कई कंपनियां अपने DEI कार्यक्रमों को फिर से देखने पर मजबूर हो गई हैं।
यह बदलाव उन कंपनियों में बढ़ते दवाब का हिस्सा हो सकता है, जो इन कार्यक्रमों के खिलाफ विरोध कर रही हैं।
असर
क्या हो सकता है फैसले का असर?
गूगल का फैसला समावेशन पर असर डाल सकता है, क्योंकि अब कंपनी विशेष समूहों की विविधता को बढ़ाने के लिए अलग से प्रयास नहीं करेगी।
समावेशन का मतलब होता है कि सभी कर्मचारियों को समान अवसर मिलें और हर किसी को उनके जाति, लिंग, या पृष्ठभूमि के आधार पर समान सम्मान मिले।
जब कंपनी अपने प्रयासों को कम कर देती है, तो इससे कर्मचारियों के बीच भेदभाव बढेगा, जिससे कार्यस्थल में असंतोष बढ़ सकता है।