चीन को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका, डिफ्लेशन की चपेट में आई अर्थव्यस्था
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चीन के लिए बुरी खबर है। चीन की अर्थव्यवस्था एक बार फिर डिफ्लेशन की चपेट में आ गई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने पिछले महीने उपभोक्ता कीमतों में 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। इसके अलावा उत्पादक कीमतों में लगातार 13वें महीने 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। पहले इसमें 2.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
क्या होता है डिफ्लेशन?
डिफ्लेशन (अपस्फीति) का खतरा इंफ्लेशन (मुद्रास्फीति) की विपरीत स्थिति होती है। जब महंगाई दर 0 प्रतिशत से भी नीचे चली जाती है, तब डिफ्लेशन की परिस्थितियां बनती हैं। डिफ्लेशन की स्थिति में महंगाई या कीमतों में लगातार गिरावट की स्थिति जारी रहती है। डिफ्लेशन के दौरान उत्पादों और सेवाओं के मूल्य लगातार कम होते जाते हैं। इस दौरान बेरोजगारी भी बढ़ती है क्योंकि अर्थव्यवस्था में डिमांड काफी घट जाती है।
कीमतों में लगातार 13वें महीने गिरावट
उत्पादक कीमतों में लगातार 13वें महीने गिरावट हुई है। पिछले महीने इसमें 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, ये पूर्वानुमान से कुछ बेहतर है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने अगस्त में कहा था कि कीमतों में सुधार देखने को मिलेगा। इसे एशियाई बाजारों के लिए भी खराब संकेत माना जा रहा है, क्योंकि इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना है। आज ही एशियाई मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई है।
क्यों डिफ्लेशन में गई चीनी अर्थव्यवस्था?
चीन की अर्थव्यवस्था की इस हालत के पीछे घरेलू और वैश्विक कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है। घरेलू कारणों में चीन के कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मंदी और कमजोर उपभोक्ता विश्वास को वजह माना जा रहा है। इसके अलावा चीनी वस्तुओं की वैश्विक मांग में कमी आई है, जिससे निर्यात भी कम हुआ है। लॉकडाउन के बाद सामान्य होती अर्थव्यवस्था की वजह से वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण पदार्थों की कीमतों में कमी को भी इसकी वजह माना जा रहा है।
चीनी अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर होगा?
डिफ्लेशन का चीनी अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। बेरोजगारी बढ़ने, ब्याज दरें बढ़ने और वेतन कम होने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। एक वित्तीय फर्म में ग्रेटर चीन के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रूस पैंग ने कहा, "कमजोर मांग के बीच लगातार डिफ्लेशन से निपटना चीनी नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती बनी हुई है। अर्थव्यवस्था को नीचे जाने से रोकने के लिए एक उचित नीति और सहायक उपायों की आवश्यकता है।"