बजट 2025: विवाहित जोड़ों को मिल सकती है संयुक्त ITR भरने की सुविधा
क्या है खबर?
केंद्रीय बजट 2025-26 में विवाहित जोड़ों के लिए संयुक्त इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की सुविधा शुरू की जा सकती है।
इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने हाल ही में हुई एक बैठक में सरकार को यह सुझाव दिया है।
अगर, सरकार इस सुझाव को मानती है तो नई कर व्यवस्था के तहत विवाहित जोड़ों को यह सुविधा मिल सकेगी।
इस सुविधा से एकल आय स्रोत वाले परिवारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
ITR
संयुक्त ITR: कर नियोजन में एक वैश्विक प्रवृत्ति
संयुक्त ITR का विचार नया नहीं है। यह अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे विकसित देशों में पहले से ही चलन में है।
भारत में प्रस्तावित संयुक्त ITR प्रणाली से भारतीय परिवारों पर वित्तीय बोझ कम होगा और टैक्स योजना भी आसान बनेगी।
ICAI की सिफारिशों में संयुक्त ITR के लिए संशोधित टैक्स स्लैब शामिल हैं, जो वर्तमान नई कर व्यवस्था के तहत व्यक्तिगत करदाताओं के मुकाबले दम्पतियों के लिए मूल छूट सीमा को दोगुना कर सकता है।
स्लैब
संयुक्त ITR के लिए प्रस्तावित स्लैब और लाभ
संयुक्त ITR के लिए प्रस्तावित टैक्स स्लैब में सालाना 6 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसी तरह 6-14 लाख तक की कमाई पर 5 प्रतिशत, 14-20 लाख पर 10 प्रतिशत और 20-24 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
यह प्रणाली वेतनभोगी दम्पतियों को व्यक्तिगत मानक कटौती का लाभ उठाने की सुविधा देगी, जबकि उच्च आय वर्ग पर प्रगतिशील अधिभार दर के साथ अधिभार सीमा को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर सकेगी।
राहत
एकल आय वाले परिवारों को कैसे मिलेगी राहत?
प्रस्तावित संयुक्त ITR प्रणाली विशेष रूप से उन परिवारों के लिए लाभदायक है जिनमें कमाने वाला एक ही सदस्य है।
यह वैश्विक रुझानों के अनुरूप अधिक छूट सीमा और कम प्रभावी टैक्स रेट प्रदान करेगी।
इस कदम से मध्यम आय वाले परिवारों को पहले की तुलना में कम टैक्स चुकाना पड़ेगा और कमाई को परिवार के दूसरे सदस्यों में बांटकर दिखाते हुए टैक्स चोरी करने की प्रचलित प्रथाओं पर रोक लग सकेगी।
परिणाम
संयुक्त ITR प्रणाली के क्या होंगे परिणाम
अगर सरकार संयुक्त ITR प्रणाली को लागू करती है तो यह भारत के कर परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है तथा इसे प्रगतिशील वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप बना सकता है।
इस प्रणाली का उद्देश्य वित्तीय बोझ को कम करना, अनुपालन में सुधार करना और व्यक्तिगत टैक्स दाखिल करने में निष्पक्षता को बढ़ावा देना है।
1 फरवरी को बजट 2025 की घोषणा होने के साथ अब सभी की निगाहें सरकार पर टिकी हुई हैं।