आयात शुल्क बढ़ने समेत इन कारणों से ऑटो कंपनियां फिर बढ़ा सकती हैं कारों के दाम
इस साल की शुरुआत में ही ज्यादातर ऑटो कंपनियों ने अपनी कारों के दाम बढ़ा दिए थे और अब फिर से कंपनियों द्वारा कारों की कीमतों में इजाफा करने की खबरें आ रही हैं। इस साल ऑटो कंपनियां एक बार फिर अप्रैल-मई में कारों की कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं। इसके कई कारण हैं, जिसमें आयात शुल्क बढ़ने से लेकर स्टील की कीमतों में इजाफा होने तक कई चीजें शामिल हैं।
आयात शुल्क बढ़ना
साल 2021 में एक बार फिर से वाहनों की कीमतों में इजाफा होने का प्रमुख कारण आयात शुल्क बढ़ना है। बजट 2021 में केंद्र सरकार द्वारा कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। बता दें कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में उपयोग होने वाले उपकरण जैसे लाइट, टर्बो चार्जर, ट्रांसमिशन और ब्रेकिंग पर आयात शुल्क बढ़कर 15 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे ऑटो कंपनियों की लागत बढ़ेगी और वे वाहनों के दाम में फिर से बढ़ोतरी करने पर विचार करेंगी।
स्टील की कीमतें बढ़ना
देश में स्टील की कीमतें आसमान छू रही हैं। स्टील की कीमतों में इजाफा होने से भारत में बनने वाली पैसेंजर और अन्य कारों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। इससे इन्हें बनाने वाली ऑटोमोबाइल कंपनियां की लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है। अगर अब स्टील की कीमतों में अधिक इजाफा होता है तो इस कारण कंपनियां अपने वाहनों की लागतों के अनुसार उनकी कीमतों में फिर से इजाफा कर सकती हैं।
परिवहन लागत बढ़ना
देश में निरंतर बढ़ रहीं पेट्रोल और डीजल की कीमतों के कारण कंपनियों की परिवहन लागत भी बढ़ रही है। उदाहरण के तौर पर हुंडई का प्लांट चेन्नई में है और वहां से दिल्ली में कारें भेजी जाती हैं। ऐसे में कारों के आने-जाने में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के साथ-साथ कंपनियों की परिवहन लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है। बता दें कि इससे परिवहन लागत में पिछले एक साल में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
अपकमिंग CAFE नॉर्म्स
कॉर्पोरेट औसत ईंधन दक्षता (CAFE) नॉर्म्स जल्द ही लागू होने वाले हैं। मारुति सुजुकी स्विफ्ट जैसी कारें पहले से ही अपकमिंग CAFE नॉर्म्स के अनुसार बनी हैं। इस कारण कंपनी का दावा है कि यह 23 किलोमीटर प्रति लीटर से अधिक का माइलेज देने में सक्षम होंगी। हालांकि, कुछ कंपनियों को अपकमिंग CAFE नॉर्म्स के अनुसार अपनी कारों को अपग्रेड करना होगा और इससे उनकी लागत बढ़ेगी, जिसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा।
कमजोर मुद्रा
ऊपर बताए गए कारणों के अलावा देश की मुद्रा में गिरावट आने से भी ऑटो कंपनियां कारों की कीमतों में इजाफा कर सकती हैं क्योंकि भारत की सभी कंपनियां किसी न किसी तरह से विदेशों पर आधारित हैं। यहां की कारों में लगने वाले कई पार्ट्स विदेशों से आते हैं। पिछले 18 महीनों में भारतीय मुद्रा में 5 प्रतिशत की कमी आई है। ऐसे में कारों की लागत बढ़ने के कारण कंपनियां उनकी कीमतें बढ़ा सकती हैं।