चाइनीज कंपनी हुवाई पर प्रतिबंध लगा सकता है भारत- रिपोर्ट
भारत डाटा सुरक्षा और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं के चलते चाइनीज कंपनी हुवाई पर प्रतिबंध लगा सकता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मोबाइल कैरियर्स को हुवाई के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बंद करना होगा। पिछली रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारत सरकार टेक्नोलॉजी बिजनेस में चाइनीज कंपनियों से जुड़े उपकरणों का इस्तेमाल देखते हुए चिंतित है। सरकार सुरक्षा से जुड़े संभावित खतरों के चलते यह फैसला ले सकती है।
15 जून के बाद किया जाएगा बदलाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने कहा है कि '15 जून, 2021 के बाद से मोबाइल कैरियर्स केवल कुछ खास तरह के उपकरण इस्तेमाल कर पाएंगे, जो सरकार की ओर से अनुमति पाने वाले सोर्सेज से आएंगे। इसके अलावा सरकार की ओर से एक 'नो प्रोक्योरमेंट' ब्लैकलिस्ट तैयार की गई है, जिसमें हुवाई का नाम भी हो सकता है। साथ ही सरकार भारत में टेलिकॉम उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देना चाहती है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं
एक सरकारी अधिकारी की ओर से संभावित फैसले को लेकर कहा गया, "हम आर्थिक बढ़त को तब प्राथमिकता नहीं दे सकते, जब निवेश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की संभावना के साथ आए।" नाम ना बताने की शर्त पर दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा कि हुवाई के अलावा ZTE दूसरी चाइनीज कंपनी हो सकती है, जिसके उपकरणों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इस मामले से जुड़ी ज्यादा जानकारी टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से नहीं दी गई है।
हुवाई और ZTE पर लगते रहे हैं आरोप
चीन से जुड़ी हुवाई और ZTE जैसी कंपनियों पर चाइनीज सरकार के लिए जासूसी करने और अपने प्रोडक्ट्स का गलत इस्तेमाल करने से जुड़े आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, दोनों ही टेक कंपनियों ने इस तरह के आरोपों से इनकार किया है। पिछली रॉयटर्स रिपोर्ट के मुताबिक, हुवाई ने इस बात की पुष्टि की है कि सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के चलते कंपनी भारत के साथ 'नो बैकडोर डील' करने की स्थिति में है।
इन कंपनियों को बदलने होंगे उपकरण
इंडस्ट्री एनालिस्ट्स का कहना है कि भारत के तीन बड़े टेलिकॉम कैरियर्स रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया में से दो हुवाई के उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। इन उपकरणों पर किसी तरह का प्रतिबंध लगने का मतलब है कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को इन्हें हटाना होगा और नए उपकरणों की कॉस्ट भी बढ़ेगी। दरअसल, चाइनीज कंपनियों की ओर से ऑफर किया जाने वाला नेटवर्क मेंटिनेंस कॉन्ट्रैक्ट दूसरे यूरोपियन विकल्पों (जैसे- नोकिया और एरिक्सन) के मुकाबले महंगा है।
इन क्षेत्रों में चाइनीज निवेश को अनुमति नहीं
सरकारीअधिकारियों ने रॉयटर्स से कहा, "हमने चीन से आने वाले कुछ निवेश संबंधी प्रस्तावों को अनुमति देना शुरू कर दिया है, लेकिन हम टेलिकॉम, इंफ्रॉस्ट्रक्चर और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में चीन को निवेश की अनुमति नहीं देंगे।" पिछले साल भारत और चीन सीमा पर तनाव के चलते सैकड़ों चाइनीज ऐप्स पर बैन लगा दिया गया था। बता दें, अमेरिका ने भी हुवाई उपकरणों के इस्तेमाल और अमेरिकी कंपनियों के साथ हुवाई के बिजनेस पर रोक लगा रखी है।