भारत में 50 प्रतिशत से अधिक वाहनों का नहीं होता बीमा, दोपहिया की संख्या ज्यादा
भारत में मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों का बीमा होना अनिवार्य है। इसके बावजूद भारत में सड़कों पर आधे से ज्यादा वाहन बिना बीमा के चल रहे हैं। भारतीय बीमा सूचना ब्यूरो (IIB) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, मार्च, 2019 तक सड़कों पर चल रहे कुल वाहनों में से लगभग 57 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के थे। इस साल के आंकड़े 2018 की रिपोर्ट से अधिक हैं।
बिना बीमा वाले दोपहिया वाहनों की संख्या है अधिक
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा स्थापित IIB अभी मार्च, 2020 की रिपोर्ट पर काम कर रही है। इसे अभी तक फाइनल नहीं किया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुासर, भारत में चल रहे बिना बीमा वाले वाहनों में ज्यादा दोपहिया वाहन हैं। कुल संख्या में लगभग 66 प्रतिशत दोपहिया वाहन हैं। रिपोर्ट के अनुसार 15 ऐसे राज्य हैं, जहां 60 प्रतिशत से अधिक वाहन बिना बीमा के चल रहे हैं।
देश में अधिक हैं दोपहिया वाहन
IIB के अनुसार, 31 मार्च, 2019 तक भारत में मौजूद 23.12 करोड़ से अधिक वाहनों में लगभग 57 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के थे। वहीं, 2017-18 में लगभग 21.11 करोड़ वाहनों में से 54 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के थे। रिपोर्ट के अनुसार बिना बीमा के वाहनों में ज्यादा दोपहिया वाहन हैं क्योंकि भारत में कुल वाहनों में लगभग 75 प्रतिशत दोपहिया वाहन हैं, जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक बिना बीमा के हैं।
भारत में सबसे ज्यादा होती है सड़क दुर्घटनाएं
भारत दुनिया के सबसे बड़े ऑटो बाजारों में से एक है। यहां सालाना दो करोड़ से अधिक गाड़ियां बिकती हैं। इसके साथ ही यह उन देशों में भी है, जहां सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं। IIB ने कहा कि ऐसी स्थिति में यह और भी चिंताजनक बात है कि देश में सड़कों पर चलने वाले कुल वाहनों में से आधे से ज्यादा वाहन बिना बीमा के हैं।
ज्यादातर कारों का होता है बीमा
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ज्यादातर कारों का बीमा होता है। भारत में सड़कों पर चली रही कुल कारों में से केवल 10 प्रतिशत ही बिना बीमा के चलती हैं। इसके साथ ही पहले साल के बाद लगभग 52 प्रतिशत वाहनों का बीमा का रिन्यूएबल नहीं होता है। बता दें कि मोटर वाहन अधिनियम, 2019 के अनुसार सभी वाहनों का थर्ड पार्टी व्हीकल इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ बीमा होना अनिवार्य है।
बिना बीमा वाले वाहन को नहीं मिलता मुआवजा
बता दें कि जब बिना बीमा वाला वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता है तो न दुर्घटना में मरने वाले यात्रियों को और न ही वाहन को कोई मुआवजा मिलता है। जानकारों की मांग है कि IIB को हर साल अपडेटेड डाटा की रिपोर्ट देनी चाहिए। वहीं, एक बीमा कंपनी के अधिकारी का कहना है कि अगर IIB समय पर डाटा जारी करता है, तो सरकार और बीमा कंपनियों को उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी।
इस वित्तीय वर्ष में हुए कुल इतने दावे
वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल थर्ड पार्टी द्वारा किए गए दावों (क्लेम) की संख्या लगभग 3.25 लाख थी। वित्त वर्ष 2018-19 में हुए कुल दावों में से दो तिहाई तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से थे। चोंटो के लिए हुए थर्ड पार्टी दावों में से 86 प्रतिशत दावे केरल से किए गए थे। दुर्घटना में सबसे ज्यादा मरने वालों के लिए दावा केरल में 12,13,671 रुपये और बिहार में सबसे कम 6,14,306 रुपये का था।
वित्त वर्ष 2018-19 में हुए थे कितने रुपये दावे?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में दुर्घटना में मरने वालों के लिए 9,01,207 रुपये का दावा किया गया था। वहीं, चोटों के लिए 2,51,094 रुपये दावा हुआ था।