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    अमेरिका में फाइजर के बाद मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी

    अमेरिका में फाइजर के बाद मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी

    लेखन प्रमोद कुमार
    Dec 19, 2020
    08:44 am

    क्या है खबर?

    कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अमेेरिका के पास दो वैक्सीन उपलब्ध हो गई हैं। फाइजर-बायोएनटेक के बाद अमेरिका में मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।

    अमेरिका दुनिया का पहला देश है, जिसने मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंंजूरी दी है। साथ ही अभी तक एकमात्र अमेरिका में ही दो वैक्सीन को हरी झंडी मिली है।

    राष्ट्रपति ट्रंप ने वैक्सीन उपलब्ध होने पर ट्वीट कर बधाई दी है।

    ट्रायल के नतीजे

    कितनी प्रभावी है मॉडर्ना की वैक्सीन?

    मॉडर्ना की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल अभी जारी है। इसके शुरुआती नतीजों से पता चला है कि संक्रमण रोकने में 94.5 प्रतिशत प्रभावी है।

    बीते महीने कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) स्टीफन बैंसेल ने कहा कि उनकी वैक्सीन तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में 94.5 प्रतिशत प्रभावी मिली है, लेकिन गंभीर मामलों में यह 100 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है।

    साथ ही ट्रायल के दौरान किसी तरह के गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं देखे गए।

    प्रतिक्रिया

    विशेषज्ञ बता रहे शानदार कामयाबी

    वैक्सीन को मंजूरी देने वाले अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के बोर्ड में शामिल जेम्स हिलडरेथ ने बताया कि एक साल के भीतर फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को विकसित कर इस्तेमाल की हरी झंडी मिलना शानदार कामयाबी है। दोनों वैक्सीन मिलकर महामारी के खिलाफ जीत का रास्ता दिखाती हैं।

    वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक डॉक्टर फ्रांसिस कॉलिन्स ने कहा, "दोनों वैक्सीन हमारी उम्मीद से बढ़कर काम कर रही हैं। यहां विज्ञान काम कर रहा है।"

    कोरोना वैक्सीन

    एक-दो दिन में शुरू हो जाएगी वैक्सीन की आपूर्ति

    मॉडर्ना ने अभी तक लगभग 60 लाख खुराकें तैयार कर ली हैं। अगले एक-दो दिन में इनकी आपूर्ति शुरू हो जाएगी।

    कंपनी ने अभी तक कई दवाएं और वैक्सीन बनाने की कोशिश की है, लेकिन उसके किसी भी उत्पाद को इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। इस बार यह स्थिति बदली है।

    कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास के लिए मॉडर्ना को अमेरिकी सरकार के 'ऑपरेशन वार्प सीड' के तहत लगभग एक अरब डॉलर की फंडिंग मिली थी।

    तकनीक

    फाइजर की तरह mRNA तकनीक पर बनी है मॉडर्ना की वैक्सीन

    फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीनों में सबसे बड़ी समानता इनकी तकनीक है और दोनों ही वैक्सीनों को बेहद नई mRNA तकनीक के जरिए बनाया गया है।

    इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं।

    इन दोनों वैक्सीनों को अमेरिका में हरी झंडी मिल चुकी है।

    जानकारी

    दो खुराकों के बाद इम्युनिटी पैदा करती है दोनों वैक्सीन

    मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीनों की खुराकों में भी समानता है और दो खुराक दिए जाने के बाद ही ये कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी पैदा करती हैं। दोनों ही कंपनियां अमेरिकी हैं और इसे भी इनके बीच एक समानता माना जा सकता है।

    स्टोरेज

    स्टोरेज को लेकर बड़ा अंतर

    कई समानताओं के बावजूद मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीनों में स्टोरेज का बड़ा अंतर है।

    जहां फाइजर की वैक्सीन को डीप फ्रीज यानी माइनस 94 डिग्री फारेनहाइट (माइनस 70 डिग्री सेल्सिलस) पर स्टोर करने रखना जरूरी है और सामान्य फ्रीजर में ये मात्र पांच दिन तक स्थिर रह सकती है।

    वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन 36 डिग्री फारेनहाइट से लेकर 46 डिग्री फारेनहाइट (2 डिग्री सेल्सिलस से 7.78 डिग्री सेल्सिलस) के तापमान पर एक महीने स्थिर रह सकती है।

    महामारी का प्रकोप

    कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित है अमेरिका

    अमेरिका कोरोना से दुनिया का सर्वाधिक प्रभावित देश बना हुआ है।

    जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, यहां अब तक 1.72 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 3.13 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

    अब दो वैक्सीन के सहारे यहां संक्रमण की रफ्तार लगने की उम्मीद है।

    वहीं पूरी दुनिया में संक्रमितों की संख्या 7.56 करोड़ हो गई है। इनमें से 16.73 लाख लोग इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।

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