मंकीपॉक्स के मरीजों को पालतू जानवरों से दूर रहने की सलाह, हो सकते हैं संक्रमित
मंकीपॉक्स वायरस के बढ़ते मामलों के बीच विशेषज्ञों ने इससे संक्रमित मरीजों को अपने पालतू जानवरों से दूर रहने की सलाह दी है। जानवरों के भी इस वायरस से संक्रमित होने की आशंका को देखते हुए ये सलाह दी गई है। विशेषज्ञों ने पालतू जानवरों को क्वारंटीन और आइसोलेशन में रखने और उन पर निगरानी रखने की सलाह भी दी है। गैर-संक्रमित लोगों को जानवरों की देखभाल करने और उन्हें खाना-पानी देने का सुझाव दिया गया है।
UK की स्वास्थ्य एजेंसी ने जारी की एडवाइजरी
यूनाइटेड किंगडम स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) ने अपनी एडवाइजरी में मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों को 21 दिन तक किसी भी तरह से अपनी पालतू जानवरों के संपर्क में नहीं आने को कहा है। चूहे जैसे पालतू जानवरों को 21 दिन तक क्वारंटीन में रखकर उनका टेस्ट करने और संक्रमण को हटाने की सलाह दी गई है। संक्रमित लोगों के करीबी, सीधे और लंबे संपर्क में आए जानवरों के साथ ऐसा करने की सलाह खासतौर पर दी गई है।
कुत्ते और बिल्लियों को घर पर ही आइसोलेशन में रखने की सलाह
कुत्ता और बिल्ली जैसे पालतू जानवरों के बारे में एडवाइजरी में कहा गया है कि उन्हें घर पर ही आइसोलेशन में रखा जाए और संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं या नहीं, ये सुनिश्चित करने के लिए नियमित तौर पर जांच की जाए। वहीं पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों के विभाग ने कहा है कि घर में जो व्यक्ति मंकीपॉक्स से संक्रमित न हो, वह पालतू जानवरों का ख्याल रखे।
मंकीपॉक्स के इंसानों से जानवरों में जाने की संभावना कम
मंकीपॉक्स के इंसान से जानवरों को संक्रमित करने की संभावना बेहद कम है, हालांकि चूहे जैसे जानवरों पर इससे संक्रमित होने का अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दशकों से मौजूद ये वायरस इस बार अफ्रीकी देशों से बाहर फैलने में कैसे कामयाब रहा। वैज्ञानिकों ने इसमें जेनेटिक बदलाव की आशंकाओं को खारिज किया है और कहा है कि नया स्ट्रेन अफ्रीका वाले स्ट्रेन से ज्यादा अलग नहीं है।
क्या है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। साल 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था।
अब तक 20 देशों में मंकीपॉक्स के 200 से अधिक मामले
WHO के अनुसार, अब तक 20 देशों में मंकीपॉक्स के 200 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। जिन देशों में मामले पकड़ में आए हैं, उनमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE), अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, मोरक्को, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल, इजरायल, स्लोवेनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, अर्जेंटीना और स्पेन शामिल हैं। इनमें से ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन इससे सबसे ज्यादा प्रभावित रहे रहे हैं। रेव पार्टियों को इसके फैलने का एक कारण माना जा रहा है।