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    दुनिया के लिए एक और खुशखबरी, 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाई गई मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन

    दुनिया के लिए एक और खुशखबरी, 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाई गई मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन
    लेखन प्रमोद कुमार
    Nov 16, 2020, 07:02 pm 1 मिनट में पढ़ें
    दुनिया के लिए एक और खुशखबरी, 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाई गई मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन

    कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया को अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने खुशखबरी दी है। कंपनी ने अपनी संभावित वैक्सीन के अंतिम चरण के आंकड़ों पर आधारित अंतरिम नतीजे जारी करते हुए बताया कि इसे कोरोना वायरस के खिलाफ 94.5 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। इससे पहले फाइजर भी अपनी संभावित वैक्सीन के नतीजे जारी कर चुकी है। फाइजर की संभावित वैक्सीन कोरोना संक्रमण के खिलाफ 90 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई थी।

    95 वॉलेंटियरों में से 90 को मिली पूरी सुरक्षा

    मॉडर्ना के अंतिम नतीजे ट्रायल में शामिल 95 वॉलेंटियरों पर आधारित है। इन सभी को 28 दिनों के अंतराल पर दो टीके लगाए गए थे। इनमें से 90 वॉलेंटियर कोरोना संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित पाए गए।

    "कोरोना वायरस महामारी को रोक सकती है वैक्सीन"

    मॉडर्ना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) स्टीफेन बैंसेल ने कहा, "तीसरे चरण के इंसानी ट्रायल के अध्ययन से हमें सकारात्मक नतीजे मिले हैं और हमारी वैक्सीन कई गंभीर बीमारियों के साथ कोरोना वायरस को रोकने में कारगर साबित हो सकती है।" वहीं मॉडर्ना के प्रमुख स्टीफन हॉग ने कहा कि ऐसे वैक्सीन आ रही है, जो कोरोना वायरस महामारी को रोक सकती है। यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जब कोरोना संक्रमण ने फिर से रफ्तार पकड़ी है।

    आसान होगा इस वैक्सीन का वितरण

    मॉडर्ना की वैक्सीन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इसे स्टोर करने के लिए अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं पड़ती। बताया जा रहा है कि इसे स्टोर करने के लिए 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होगी। इस तापमान पर यह 30 दिन और -20 डिग्री तापमान पर छह महीने तक सुरक्षित रह सकती है। इससे इसका वितरण आसान होगा। इसकी तुलना में फाइजर की वैक्सीन की स्टोरेज के लिए -70 डिग्री तापमान की जरूरत होगी।

    इस साल दो करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी कंपनी

    मॉडर्ना के अंतिम चरण के ट्रायल में 30,000 वॉलेंटियर शामिल हैं। अभी तक के नतीजों में यह सामने आया है कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस के मामलों को गंभीर होने से रोकती है। फाइजर की वैक्सीन के अभी तक ऐसे नतीजे नहीं आए हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मॉडर्ना इस साल अमेरिका के लिए दो करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी। इनमें से कई लाख का उत्पादन हो चुका है और मंजूरी के बाद उन्हें सरकार को दे दिया जाएगा।

    क्या वैक्सीन के कोई साइड-इफेक्ट रहे?

    ट्रायल के दौरान कुछ वॉलेंटियरों में हल्के से मध्यम साइड-इफेक्ट देखे गए। कुछ वॉलेंटियरों को दूसरी खुराक के बाद अधिक दर्द महसूस हुआ। वहीं लगभग 10 प्रतिशत वॉलेटियरों में थकान देखी गई, जिसने उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की प्रभावित किया। 9 प्रतिशत को गंभीर बदन दर्द का सामना करना पड़ा। हालांकि, कंपनी का कहना है कि ये सभी लक्षण थोड़ी देर तक रहे और बाद में सभी वॉलेंटियर पूरी तरह स्वस्थ हो गए।

    आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मांगेगी कंपनी

    कंपनी ने कहा है कि वह इस वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मांगेगी। बता दें कि अमेरिका के अलावा बाकी देशों को इस वैक्सीन के लिए अगले साल का इंतजार करना होगा। इस साल केवल अमेरिका के अलग-अलग शहरों के लिए खुराकों का उत्पादन होगा। कंपनी अगले साल दूसरे देशों को भेजने के लिए 5-10 करोड़ खुराकों का उत्पादन करेगी। कंपनी जल्द ही यूरोप से इसके इस्तेमाल की मंजूरी मांगेगी।

    एक साथ शुरू हुआ था मॉडर्ना और फाइजर का ट्रायल

    mRNA तकनीक पर आधारित मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल जुलाई में फाइजर के साथ ही शुरु हुआ था, लेकिन इसके नतीजे थोड़ी देरी से आ रहे हैं। इसका एक मुख्य कारण दोनों वैक्सीनों की खुराकों के बीच अंतराल है। जहां फाइजर की वैक्सीन की दो खुराकों को तीन हफ्ते के अंतराल पर दिया जाता है, वहीं मॉडर्ना की वैक्सीन की दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का समय होना जरूरी है।

    ट्रायल के अंतिम चरण में हैं कोरोना वायरस की 11 वैक्सीनें

    अन्य संभावित वैक्सीनों की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अभी कोरोना वायरस की 11 वैक्सीनों का तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। मॉडर्ना और फाइजर के बाद एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन इनमें सबसे आगे है और इसके ट्रायल के नतीजे भी इसी साल आ सकते हैं। इस वैक्सीन की शुरूआती 10 करोड़ खुराकें दिसंबर में भारत को मिलने की उम्मीद है। इसलिए इसके नतीजे भारत के लिए सबसे अहम हैं।

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