न्यूयॉर्क: गंभीर बीमारी से पीड़ित युवक ने किस तरह बनाई दुनिया की सबसे बड़ी मोजा कंपनी
डाउन सिंड्रोम एक प्रकार की अनुवांशिक बीमारी है, जो बच्चे के मस्तिष्क और शारीरिक विकास को प्रभावित करती है। माना जाता है कि इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को हमेशा सहारे की जरूरत होती है, लेकिन न्यूयॉर्क के द्वीप लॉन्ग आइलैंड के एक डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त युवक ने साबित कर दिया है कि कोई भी चीज उसके सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकती। उसने दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन मोजा कंपनी बना ली है।
2016 में हुई थी कंपनी की स्थापना
28 वर्षीय युवक का नाम जॉन क्रोनिन है, जिसने 2016 में अपने परिवार के साथ जॉन्स क्रेजी सॉक्स कंपनी की स्थापना की और तब से वह होजयरी का एक बड़ा व्यापारी बन गया। उन्होंने अपनी कंपनी में ऐसे लोगों को काम पर रखा, जो उनकी तरह डाउन सिंड्रोम का सामना कर रहे हैं। अपने कर्मचारियों के सहयोग से जॉन ने 4,000 डिजाइन के साथ 20 लाख से ज्यादा ऑर्डर बेचे और लगभग 8 लाख डॉलर दान किए।
जॉन ने मोजे इकट्ठा करने के शोक को बनाया व्यवसाय
मोजे के व्यापार में बड़ी सफलता हासिल करने के बाद से जॉन को कई सम्मान मिल हैं। जॉन ने द न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया, "मैनें अपने परिवार से संपर्क किया और उनसे एक मोजा कंपनी शुरू करने के लिए सहयोग मांगा, क्योंकि अजीबोगरीब मोजे इकट्ठे करना मेरी पसंद बन गए थे। फिर मेरे ध्यान में आया कि ऐसा करने वाला मैं एकलौता नहीं हो सकता। इसके बाद मैं अपने परिवार के साथ व्यवसाय चलाने लगा।"
किस तरह के मोजे बेचते हैं जॉन?
जॉन द्वारा बेचे जाने वाले मोजों में ड्राउन सिंड्रोम और ऑटिज्म जैसी बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाले प्रिंट्स से लेकर अलग-अलग त्योहारों और स्नैक्स वाले प्रिंट्स शामिल हैं। वे हैरी पॉटर और स्पंजबॉब थीम वाले मोजे भी बेचते हैं। जॉन कई भूमिकाएं निभाते हैं और कंपनी की जरूरत के हिसाब से काम करते हैं। वह 89 से ज्यादा देशों में अपने मोजें बेच रहे हैं और उनके हर ऑर्डर की पैकिंग भी खास होती है।
जॉन ने कर्मचारियों को दिया सफलता का श्रेय
जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ता गया, वैसे-वैसे जॉन का लक्ष्य भी बढ़ता गया। उन्होंने अलग-अलग योग्यता वाले लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना अपना मुख्य उद्देश्य बना लिया क्योंकि, जॉन व्यक्तिगत रूप से जानते हैं कि नौकरी पाना कितना कठिन हो सकता है। जॉन ने कहा, "मैं अपने कर्मचारियों के बिना कुछ भी नहीं कर सकता था। वे बहुत मेहनत करते हैं, जिस कारण हमारा व्यापार कई देशों तक पहुंच सका।"