कौन है 18 साल के प्रगनानंदा, जिन्होंने शतरंज विश्व कप के फाइनल में बनाई जगह?
क्या है खबर?
सोमवार की रात जब पूरा देश सो रहा था, 18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंदा ने इतिहास रच दिया।
वह शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंच गए हैं।
वह ऐसा करने वाले भारत के सिर्फ दूसरे खिलाड़ी हैं। इससे पहले ये कारनामा दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने किया था।
प्रागनानंदा ने तीसरे नंबर के शतरंज खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को टाई-ब्रेक में 3.5-2.5 से हराया।
आइए इस खिलाड़ी के बारे में जानते हैं।
फाइनल
फाइनल में होगी दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी से भिड़ंत
प्रगनानंदा शतरंज विश्व कप के फाइनल में दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के खिलाफ खेलने उतरेंगे।
अब तक दोनों के बीच 19 मैच खेले गए हैं। 8 मुकाबलों को कार्लसन ने जीता है और 5 मैच प्रगनानंदा ने अपने नाम किए हैं। 6 मैच ड्रॉ रहे हैं।
इन दोनों के बीच आखिरी 2 मुकाबले ड्रॉ पर खत्म हुए थे। ऐसे में फाइनल मुकाबले में दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
जानकारी
विश्वनाथन ने दी बधाई
भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन ने प्रगनानंदा के लिए ट्विटर लिखा, 'प्रगनानंदा फाइनल में पहुंच गए। उन्होंने टाईब्रेक में फैबियानो कारूआना को हराया और अब मैग्नस कार्लसन से उनका मुकाबला होगा। क्या कमाल का प्रदर्शन है।'
ट्विटर पोस्ट
विश्वानथन आनंद ने किया ट्वीट
Pragg goes through to the final! He beats Fabiano Caruana in the tiebreak and will face Magnus Carlsen now.
— Viswanathan Anand (@vishy64theking) August 21, 2023
What a performance!@FIDE_chess #FIDEWorldCup2023
परिचय
कौन है प्रगनानंदा?
10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में जन्मे प्रगनानंदा सिर्फ 3 साल की उम्र में इस खेल से जुड़ गए थे। इनके पिता रमेशबाबू पोलियो से ग्रसित हैं और बैंक में काम करते हैं।
प्रगनानंदा ने बड़ी बहन वैशाली को देखकर शतरंज खेलना शुरू किया था। वैशाली खुद महिला ग्रैंडमास्टर हैं।
प्रगनानंदा साल 2018 में सिर्फ 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे।
उन्होंने विश्वनाथन का रिकॉर्ड तोड़ा था, जो 18 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे।
रिकॉर्ड
प्रागननंदा ने बनाए हैं ये बड़े रिकॉर्ड
साल 2016 में प्रागननंदा सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने थे। उन्होंने ये उपलब्धि 10 साल की उम्र में हासिल कर ली थी।
प्रगनानंद ने साल 2013 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप अंडर-8 का खिताब जीता था।
इसके बाद उन्होंने 2015 में अंडर-10 चैंपियनशिप का खिताब भी जीता।
प्रागननंदा 21 साल बाद शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने हैं। विश्वानथन ने साल 2000 और 2002 में विश्व कप का खिताब जीता था।
मां
जब रोने लगी थी प्रगनानंदा की मां
प्रगनानंदा की मां नागलक्ष्मी हर बड़े टूर्नामेंट में अपने बेटे के साथ जाती हैं।
गुरुवार को जब क्वार्टर फाइनल मुकाबला अजरबैजान के बाकू में खेला जा रहा था। वह उस समय भी उनके साथ थी और मुकाबला देख रहीं थी। जैसे ही प्रगनानंदा ने मुकाबला अपने नाम किया पास में बैठी मां भावुक हो गईं और उनके आंसू छलक गए।
उन्होंने भारत के ही अर्जुन एरिगैसी को 5-4 से हराकर सेमीफाइनल में जगह पक्की की थी।
बयान
फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा- प्रगनानंदा
सेमीफाइनल मुकाबले के बाद प्रगनानंदा ने कहा, "मुझे इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा और देखूंगा कि कैसे मुकाबला चलता है। अब फाइनल में पहुंचने के बाद वास्तव में अच्छा लग रहा है। मैं अच्छी जगह इस टूर्नामेंट को खत्म करने का प्रयास करूंगा।"
प्रगनानंदा को शतरंज के अलावा क्रिकेट का भी शौक है। वह इस खेल को देखना पसंद करते हैं।