
क्या है दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट का विवाद और क्या हो सकता है इसका असर?
क्या है खबर?
हाल ही में साउथ अफ्रीकन स्पोर्ट्स कंफेडरेशन एंड ओलंपिक कमेटी (SASCOC) ने क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) के अधिकारियों को अपना पद छोड़ने का आदेश दिया था।
इसके बाद से ही बोर्ड में काफी उथल-पुथल चल रही है और उनका हाल भी जिम्बाब्वे क्रिकेट जैसा होने की उम्मीद दिख रही है।
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह विवाद क्या है और इसके क्या मायने हो सकते हैं।
जानकारी
क्या है SASCOC और क्या हैं इसके काम?
SASCOC एक ऐसी संस्था है जो दक्षिण अफ्रीका में होने वाले हर प्रोफेशनल स्पोर्ट को मॉनीटर करती है। भले ही यह सरकारी संस्था नहीं है, लेकिन इसे अर्ध-सरकारी संस्था के रूप में देखा जा सकता है।
मामले की शुरुआत
पिछले तीन साल से चल रहा है बोर्ड का बुरा दौर
पिछले तीन सालों में CSA के चार CEO रह चुके हैं और सरकार काफी अस्थिर रही है।
CSK भारी आर्थिक नुकसान से गुजर रही है और उन्होंने स्पॉन्सर भी खोए हैं।
साउथ अफ्रीकन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (SACA) के साथ भी बोर्ड के रिश्ते काफी खराब हुए हैं।
2017 में ग्लोबल टी-20 को लॉन्च करने में असफल रहने के साथ ही खराब दौर की शुरुआत हो गई थी और उसकी जगह घाटे वाली मजांसी सुपर लीग चलाई जा रही है।
रिश्ते
लगातार बिगड़ रहे हैं CSA और SACA के रिश्ते
CSA ने SACA से बात किए बिना घरेलू क्रिकेट को दोबारा सेट करने का प्लान किया था और इससे माहौल और बिगड़ने लगा।
SACA ने बार बोर्ड के खिलाफ लीगल एक्शन लिया था और दोनो ही बार उन्हें सफलता मिली थी।
भले ही बोर्ड ने अपने प्लान फिलहाल के लिए टाल दिए हैं, लेकिन SACA के साथ उनके रिश्ते सुधर नहीं सके हैं।
बोर्ड ने अब तक किसी नए प्लान के बारे में भी खुलासा नहीं किया है।
ICC
ICC दे सकती है मामले में दखलअंदाजी
पिछले साल जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड को उनकी सरकार द्वारा हटा दिए जाने के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने दखलअंदाजी की थी।
ICC ने जिम्बाब्वे को निलंबित भी किया था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के मामले में बात निलंबन तक नहीं पहुंचेगी।
ऐसे कई अन्य मेंबर बोर्ड्स के उदाहरण हैं जिनकी सरकारें बिना उनकी टीमों के निलंबित हुए आचार संहिता के खिलाफ दखलअंदाजी कर रही हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान है।
क्या आप जानते हैं?
सरकारी हस्तक्षेप के कारण ICC लगाती है टीमों पर बैन
यदि क्रिकेट बोर्ड खुद को सरकारी हस्तक्षेप से दूर नहीं रख पाता है तो उन पर बैन झेलने का खतरा मंडराने लगता है। ICC के हिसाब से क्रिकेट बोर्ड चलाने में केवल उनके चुने गए अधिकारी ही हिस्सा ले सकते हैं।
पुराना मामला
एक बार पहले 21 साल का बैन झेल चुकी है दक्षिण अफ्रीका
सरकार के क्रिकेट बोर्ड में लगातार दखअंदाजी करने और टीम में रंगभेद को बढ़ावा देने के कारण 1970 में ICC ने दक्षिण अफ्रीका को इंटरनेशनल क्रिकेट से बैन कर दिया था।
1991 में बोर्ड के दोबारा प्रभाव में आने के बाद टीम से इंटरनेशनल बैन हटा लिया गया और उन्होंने भारत के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला था।
बैन हटने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने 1992 में पहली बार विश्व कप खेला था।
भविष्य पर असर
फिलहाल खिलाड़ियों को नहीं संकट, भविष्य पर मंडरा रहा है खतरा
खिलाड़ियों के लिए फिलहाल कोई संकट नहीं है। 10 पुरुष खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग और सात महिला खिलाड़ी बिग बैश लीग के लिए तैयारी कर रही हैं।
सितंबर आधा जा चुका होने वाला है और अब तक घरेलू क्रिकेट का शेड्यूल जारी नहीं किया जा सका है। हालांकि, इसमें कोरोना वायरस का भी बड़ा हाथ है।
फिलहाल यह भी तय नहीं है कि नेशनल टीम कब मैदान पर वापसी करने वाली है।