आर्थिक तंगी से जूझ रही वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड, जनवरी से नहीं हुआ खिलाड़ियों का भुगतान
क्या है खबर?
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड (CWI) लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रही है और इसी कारण बोर्ड और सीनियर खिलाड़ियों के बीच लंबी तकरार भी देखने को मिली थी।
कोरोना वायरस के कारण क्रिकेट के आयोजन पर रोक लगी है और एक बार फिर बोर्ड की आर्थिक तंगी का मामला सामने आ रहा है।
दरअसल CWI अपने खिलाड़ियों को जनवरी से ही सैलरी नहीं दे सका है। इसमें घरेलू और नेशनल टीम के खिलाड़ी शामिल हैं।
सैलरी
पुरुष और महिला दोनों टीमों का बकाया है भुगतान
रिपोर्ट्स की मानें तो नेशनल पुरुष टीम को जनवरी में आयरलैंड के खिलाफ खेले गए 3-3 वनडे और टी-20 मैचों की सीरीज़ के अलावा श्रीलंका दौरे की भी मैच फीस अब तक नहीं दी गई है।
इसके अलावा फरवरी-मार्च में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई महिला टी-20 विश्वकप में चार मैच खेलने वाली महिला टीम की खिलाड़ियों की भी सैलरी अब तक नहीं दी जा सकी है।
CWI चीफ का कहना है कि जल्द ही ये पेमेंट कर दिए जाएंगे।
बयान
घरेलू खिलाड़ियों को मैच फीस देने में आ रही दिक्कत- वेन लेविस
CWI ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि खिलाड़ियों की रिटेनर का भुगतान तो कर दिया गया है, लेकिन उनकी मैच फीस अभी नहीं दी जा सकी है।
वेस्टइंडीज प्लेयर्स एसोसिएशन (WIPA) के सेक्रेटरी वेन लेविस ने हवाले से Espncricinfo ने लिखा, 'मासिक सैलरी और भत्तों का भुगतान हो चुका है। हमें रीजनल फर्स्ट-क्लास प्रतियोगिता के अब तक खेले गए आठ राउंड में हिस्सा लेने वाले घरेलू क्रिकेटर्स की मैच फीस देने में दिक्कत आ रही है।'
घरेलू क्रिकेटर्स
घरेलू क्रिकेटर्स का इतना है बकाया
रिपोर्ट्स के मुताबिक घरेलू खिलाड़ियों को 2020 वेस्टइंडीज चैंपियनशिप की पेमेंट का बड़ा हिस्सा अब तक नहीं मिल सका है।
मार्च में CWI ने इस प्रतियोगिता को दो राउंड बचे होने की स्थिति में ही समाप्त कर दिया था और बारबाडोस को चैंपियन घोषित किया था।
रीजनल खिलाड़ियों को सभी प्रकार के भत्तों के अलावा 1600 यूएस डॉलर (लगभग 1.18 लाख रूपये) मैच फीस के रूप में दिए जाते हैं।
तंगी का कारण
2018 का घाटा आर्थिक तंगी का मुख्य कारण- ग्रेव
CWI के चीफ एक्सीक्यूटिव जॉनी ग्रेव ने कहा कि बोर्ड की आर्थिक तंगी का मुख्य कारण 2018 में श्रीलंका और बांग्लादेश को होस्ट करने में हुआ घाटा है।
उन्होंने कहा, "जब हमने श्रीलंका और बांग्लादेश को होस्ट किया था तो हमें 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 1 अरब 68 करोड़ रूपये) का घाटा हुआ था। मीडिया अधिकार के कॉन्ट्रैक्ट ने हमें उन सीरीज़ के लिए एक मिलियन डॉलर से भी कम का भुगतान किया था।"