क्या है कोलपैक डील और क्यों इसके लिए नेशनल टीम छोड़ देते हैं दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर्स?
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट के नए डॉयरेक्टर बनने वाले ग्रीम स्मिथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह किसी भी पूर्व कोलपैक प्लेयर को दक्षिण अफ्रीकी टीम में वापस आने का मौका जरूर देंगे। फिलहाल दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट काफी बुरे दौर से गुजर रही है और खास तौर से टेस्ट क्रिकेट में उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक है। सालों से तमाम क्रिकेटर्स कोलपैक डील साइन करते रहे हैं। आइए जानते हैं इस डील से जुड़ी हर जरूरी बात।
क्या है कोलपैक नियम?
यूरोपियन यूनियन (EU) के नागरिकों को अन्य यूरोपियन यूनियन देशों में काम करने की इजाजत होती है। हालांकि, कोलपैक नियम के अंतर्गत EU एसोसिएशन एग्रीमेंट के अंदर आने वाले देशों के नागरिकों का अधिकार भी समान हो जाता है। यूरोपियन यूनियन एसोसिएशन एग्रीमेंट EU और अन्य देशों के बीच मुफ्त व्यापार संधि है जिसका उद्देश्य इनके बीच सहयोग बनाए रखने के लिए फ्रेमवर्क बनाने का होता है।
इस नियम का कैसे पड़ता है क्रिकेट पर प्रभाव?
EU से डील करने वाले देशों के क्रिकेटर किसी भी EU देश में क्रिकेट खेल सकते हैं। इससे खिलाड़ी विदेशी की श्रेणी में आने से भी बच जाता है और इंग्लिश काउंटी क्लब्स के साथ बड़ी डील भी साइन कर सकता है। कुछ अन्य देशों के साथ दक्षिण अफ्रीका EU के साथ Cotonou एग्रीमेंट का हिस्सा है। इन देशों के खिलाड़ी भी कोलपैक डील साइन करने के लिए योग्य हैं।
क्यों पड़ा कोलपैक नाम?
2000 में स्लोवाकिया के एक हैंडबाल खिलाड़ी मारोस कोलपैक को वैध जर्मन निवासी होने के बावजूद उनके क्लब द्वारा रिलीज कर दिया गया था। हालांकि, स्लोवाकिया EU सदस्य नहीं है। जर्मन हैंडबाल एसोसिएशन का एक नियम था जिससे वह दो नॉन-EU नागरिकों को नहीं उतार सकते थे। मार्कोस ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपील की और फैसला उनके पक्ष में रहा और कोर्ट ने पाबंदी हटा दी।
कोपलैक डील के लिए जरूरी योग्यता
कोलपैक डील साइन करने के लिए एक खिलाड़ी के पास यूनाइटेड किंगडम का चार साल का वैध वर्क परमिट होना चाहिए। उसने निश्चित नंबर के इंटरनेशनल मुकाबले खेले हों। कोलपैकै डील साइन करने के बाद उस अवधि तक खिलाड़ी का सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो जाता है। इंग्लैंड नेशनल टीम के लिए खेलने के लिए खिलाड़ी को किसी इंग्लिश काउंटी के लिए कम से कम सात साल तक खेलना होता है।
2016 में दक्षिण अफ्रीका ने शुरु किया था कोटा सिस्टम
2016 में क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने घोषणा की थी कि वे प्लेइंग इलेवन में ज़्यादा से ज़्यादा से पांच गोरे खिलाड़ियों को उतार सकते हैं। इससे तमाम खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट को छोड़कर चले गए। पिछले कुछ सालों में काइल एबॉट, डुएने ओलिवियर और मोर्ने मोर्कल सहित कई मार्की खिलाड़ियों ने दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट टीम को छोड़कर इंग्लिश काउंटी के लिए खेलना का निर्णय लिया है। लिमिटेड ओवर्स टीम से रिली रोसू भी एक बड़ा नाम हैं।
खिलाड़ी क्यों साइन करते हैं कोलपैक डील?
इंग्लैंड से तुलना करें तो दक्षिण अफ्रीका का घरेलू क्रिकेट काफी पीछे है। इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप में खिलाड़ियों को बड़े रकम की डील मिलती है। इसके अलावा विश्वभर में होने वाले तमाम टी-20 लीग्स ने भी खिलाड़ियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। हालांकि, कोलपैक साइन करने का सबसे बड़ा कारण नेशनल टीम में मिलने वाले कम मौके हैं। कोटा सिस्टम आने के बाद यह संघर्ष और भी बढ़ गया है।
ब्रेक्जिट ने किस प्रकार कोलपैक पर डाला है प्रभाव
इस साल जनवरी में यूके के फॉर्मली यूरोपियन यूनियन (Brexit) को छोड़ने के बाद इंग्लैंड एंड वेल्श क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने सभी काउंटी को सलाह दी है कि 2020 के अंत तक सभी कोलपैक रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिए जाएं। इसका मतलब है कि EU देशों के खिलाड़ियों को अगले सीजन से विदेशी खिलाड़ी के रूप में रजिस्टर किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक 2020 सीजन के लिए 17 दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर कोलपैक कॉन्ट्रैक्ट में हैं।