#KabaddiKeHero: बचपन में सोचा गांव में लड्डू बंटवाने हैं और बन गए कबड्डी के सुपरस्टार
कहते हैं ना कि यदि बचपन में ही आपको किसी ने प्रभावित कर दिया तो आप फिर उसकी तरफ खिंचे चले जाते हैं। हिमांचल प्रदेश के कबड्डी सुपरस्टार अजय ठाकुर के साथ भी यही हुआ और कबड्डी ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया। 'कबड्डी के हीरो' सीरीज की पहली तीन किस्तों में हमने आपको प्रदीप नरवाल, कैप्टन कूल अनूप कुमार और राहुल चौधरी की कहानी बताई थी। अजय ठाकुर की कहानी के साथ प्रस्तुत है सीरीज की चौथी किस्त।
हिमाचल में जन्में, बचपन में ही लगा शौक
अजय का जन्म 1 मई, 1986 को हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ (सोलन) के दभोटा में हुआ था। अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्हें भी बचपन में ही कबड्डी का शौक लग गया था। सीनियर खिलाड़ी जहां पर कबड्डी खेलते थे वहीं पर छोटा सा मैदान बनाकर अजय अपने दोस्तों के साथ कबड्डी खेला करते थे। अजय की मां टीचर हैं और यही वजह है कि वह पढ़ने में काफी अच्छे थे। भारत के लिए खेलना अजय का सपना था।
पिता की इच्छा थी कि भारत के लिए खेलें अजय
अजय के पिता नेशनल लेवल रेसलर रह चुके हैं और उनका सपना था कि उनका बेटा भी भारत के लिए खेले। टीवी पर अपने बड़े पापा के लड़के राकेश कुमार को खेलता देखकर अजय के मन में भी भारत के लिए खेलने का ख्याल आया था। राकेश द्वारा सैफ (SAFF) गेम्स में मेडल जीतने पर उनके गांव में मिठाई बांटी गई थी और तभी अजय ने सोचा था कि वह भी एक दिन गांव में लड्डू बँटवाएंगे।
भारतीय टीम में चुने जाने पर उड़ाया गया था अजय का मजाक
अजय जब मात्र 18 साल के थे तभी उनको भारतीय टीम में चुन लिया गया था। हालांकि उस समय उनका वजन काफी कम था जिसकी वजह से सीनियर खिलाड़ी उनको खूब चिढ़ाते थे। जब उन्होंने अपने घर पर अपने चयन के बारे में बताया था तो उनके पिता के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। अजय ने 25 दिन के कैंप में 12 किलो वजन बढ़ाया था और इसके लिए वह अपने सीनियर खिलाड़ियों को धन्यवाद देते हैं।
अजय ठाकुर का इंटरनेशनल करियर और उपलब्धियां
2007 एशियन इंडोर गेम्स में गोल्ड मेडल और 2014 एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल। 2017 एशियन कबड्डी चैंपियनशिप और 2018 दुबई कबड्डी मास्टर्स विजेता। हिमांचल प्रदेश में DSP के पद पर तैनात हैं और एयर इंडिया के लिए भी काम कर चुके हैं।
राकेश कुमार से काफी ज़्यादा प्रेरित थे अजय
अजय के मुताबिक उनके भाई राकेश की काफी इज़्जत होती थी। राकेश कहीं भी जाते थे तो लोग उन्हें काफी सम्मान देते थे। यह सब देखकर अजय के मन में ख्याल आता था कि उन्हें भी इसी तरह की इज़्जत मिले और यही वजह थी कि उन्होंने कबड्डी को गंभीरता से लेना शुरु कर दिया। बचपन से ही अजय का सपना था कि वो कहीं जाएं तो लोग उन्हें देखकर बोलें कि यह इंसान शानदार खिलाड़ी है।
कुत्ते, गाड़ियां और घर पर पैसा खर्च करते हैं अजय
अजय ठाकुर कुत्तों के बड़े शौकीन हैं। उन्होंने लगभग चार लाख रूपए खर्च करके चार कुत्ते खरीदे थे। ठाकुर ने नई फॉर्च्यूनर गाड़ी भी खरीदी थी और साथ ही उन्होंने अपने लिए नया घर बनवाने में भी पैसे खर्च किए हैं।
प्रो कबड्डी में खूब पैसे कमा रहे हैं अजय
प्रो कबड्डी के पहले सीजन में बेंगलुरु बुल्स ने अजय ठाकुर को Rs. 12 लाख में खरीदा था। तीसरे सीजन में पुणेरी पल्टन ने उन्हें Rs. 20 लाख रूपए में खरीदा था। खराब प्रदर्शन के कारण चौथे सीजन में पुणेरी ने उन्हें Rs. 19 लाख दिए थे। पांचवें सीजन में नई फ्रेंचाइजी तमिल थलाइवाज ने ठाकुर को Rs. 69 लाख के महंगे दाम में खरीदा था। टीम ने ठाकुर को छठे सीजन के लिए Rs. 76 लाख में रिटेन किया।
अजय ठाकुर का प्रो कबड्डी लीग करियर
प्रो कबड्डी लीग में अजय ठाकुर के नाम अब तक 98 मैचों में 720 अंक दर्ज हैं। ठाकुर के नाम 699 रेड और 21 टैकल अंक दर्ज हैं। पांचवें सीजन में उन्होंने तमिल थलाइवाज के लिए 213 रेड अंक हासिल किए थे।