कहीं फेक तो नहीं है आपका आईफोन? यह है पता लगाने का आसान तरीका

स्मार्टफोन्स का दुनियाभर में बड़ा मार्केट है और खासकर ऐपल आईफोन खरीदने वाले यूजर्स करोड़ों में हैं। आईफोन की लोकप्रियता के चलते कई कंपनियां उनकी फेक कॉपी तैयार करती हैं, जिनमें आईफोन जैसे हार्डवेयर में कस्टम एंड्रॉयड स्किन दी जाती है। इस तरह डिवाइस ऑन करने और इस्तेमाल करने के दौरान भी उसके असली या नकली होने का पता नहीं चल पाता। कुछ आसान स्टेप्स फॉलो कर आप पता कर सकते हैं कि आपका आईफोन फेक तो नहीं है।
अगर आप आईफोन खरीदना चाहते हैं तो हमेशा आधिकारिक स्टोर या फिर भरोसेमंद रीटेलर्स से ही खरीदें। कम कीमत पर आईफोन खरीदने का लालच महंगा पड़ सकता है और थर्ड-पार्टी स्टोर्स से आपको फेक आईफोन डिलीवर किया जा सकता है। ऐपल का इकोसिस्टम क्लोज्ड है, यानी कि हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक पूरी तरह ऐपल ही डिजाइन करती है। वहीं, खास तौर से चाइनीज मार्केट में फेक आईफोन खूब मैन्युफैक्चर किए जाते हैं।
किसी आईफोन के असली या फेक होने का पता लगाने के लिए सबसे पहला और आसान तरीका उसका IMEI नंबर चेक करना है। आप बॉक्स ओपेन करने से पहले ही बाहर दिए गए IMEI नंबर को देख सकते हैं और इसे ऐपल की वेबसाइट पर एंटर कर सकते हैं। इसके लिए आपको https://checkcoverage.apple.com/in/en पर जाकर बॉक्स पर लिखा IMEI नंबर एंटर करना होगा। डिवाइस के फेक होने की जानकारी आपको तुरंत स्क्रीन पर दिख जाएगी।
डिवाइस के डिस्प्ले बेजल्स देखकर उसके फेक होने का पता लगाया जा सकता है क्योंकि आईफोन X और इसके बाद लॉन्च मॉडल्स में चौड़ी बेजल्स नहीं दी गई हैं। इसके अलावा ऐपल अकेला बड़ा ब्रैंड है, जो लाइटनिंग पोर्ट के दोनों ओर पेंटालोब स्क्रू इस्तेमाल करता है। अगर इन डिस्प्ले पर पांच ग्रूव्स नहीं हैं तो डिवाइस फेक है। ध्यान रहे, आईफोन मॉडल्स में कनेक्टिविटी के लिए माइक्रो-USB या USB-C पोर्ट के बजाय लाइटनिंग पोर्ट मिलता है।
अगर हार्डवेयर से डिवाइस के असली या फेक होने का पता ना लग पाए तो आप सॉफ्टवेयर की खामियां समझ सकते हैं। फेक आईफोन्स में iOS इंटरफेस की कॉपी मिलती है, जो परफेक्ट नहीं होती। ओरिजनल आईफोन ऑन करते ही ऐपल ID बनाने या इसकी मदद से लॉगिन करने का विकल्प दिया जाता है। अगर आपसे गूगल अकाउंट की मदद से लॉगिन करने को कहा जाता है तो आपके डिवाइस में iOS के बजाय एंड्रॉयड OS इंस्टॉल किया गया है।
ऐपल की वॉइस असिस्टेंट सीरी केवल ओरिजनल आईफोन में मिलती है, यानी कि अगर आपका आईफोन फेक है तो पावर बटन पर लॉन्ग क्लिक करने पर सीरी असिस्टेंट ओपेन नहीं होगी। इसके अलावा आपको ऐप स्टोर आइकन पर टैप करना होगा और अगर ऐपल ऐप स्टोर ओपेन होता है, तो आपका डिवाइस असली है। आखिर में आप सेटिंग्स मेन्यू में जाकर जनरल और एबाउट सेक्शन देखते हैं तो फेक आईफोन में iOS के बजाय एंड्रॉयड का वर्जन इंस्टॉल मिलेगा।