
चीन के मंगल मिशन में शामिल हो सकेंगे दुनियाभर के वैज्ञानिक, आवेदन शुरू
क्या है खबर?
चीन ने तियानवेन-3 मंगल मिशन के लिए अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं के आवेदन लेना शुरू कर दिया है।
यह मिशन 2028 में लॉन्च होने की योजना में है और 2030 तक मंगल ग्रह से नमूने वापस लाने का लक्ष्य रखता है। इसमें 1-1 लैंडर, आरोही यान, ऑर्बिटर और मॉड्यूल शामिल होगा।
चीन ने कहा कि चुनी गई परियोजनाओं को मुफ्त यात्रा मिलेगी, लेकिन भागीदारों को अपने उपकरणों की लागत खुद वहन करनी होगी और डाटा साझा करना होगा।
झटका
नासा को ट्रंप की कटौती से झटका
अमेरिका के मंगल नमूना वापसी मिशन को भारी बजट कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के तहत नासा के बजट में कटौती हुई, जिससे कई वैज्ञानिक परियोजनाएं प्रभावित हुईं। इस कटौती के कारण नासा का मंगल नमूना वापसी मिशन 2035 या 2039 तक देरी से पूरा हो सकता है।
नासा अब निजी कंपनियों, जैसे स्पेस-X और ब्लू ओरिजिन, के साथ संभावित साझेदारी पर विचार कर रही है, ताकि मिशन समय पर पूरा सके।
बढ़त
चीन के तियानवेन-3 की बढ़त
तियानवेन-3 मिशन को लेकर चीन पूरी तरह तैयार दिख रहा है और उसने नासा को मंगल मिशन की दौड़ में पीछे छोड़ने का संकेत दिया है।
यह मिशन समय पर पूरा होगा और इसमें नई तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। चीन पहले ही चंद्रमा के दूरस्थ हिस्से से नमूने लाने वाला पहला देश बन चुका है।
मंगल ग्रह पर चीन का झू रोंग रोवर 358 दिन सक्रिय रहा, जबकि नासा का पर्सिवियरेंस अब भी नमूने इकट्ठा कर रहा है।
चुनौतियां
नासा के सामने नई चुनौतियां
नासा के सामने अब बजट कटौती और मिशन में देरी जैसी चुनौतियां हैं। नासा का मंगल नमूना वापसी मिशन तियानवेन-3 की तुलना में कम से कम 4 साल पीछे चल रहा है।
नासा के पूर्व प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा था कि यह मिशन अब निजी कंपनियों के सहयोग से ही संभव हो सकता है।
इस बीच, चीन वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को अपने मिशन में शामिल होने का अवसर देकर अंतरिक्ष अनुसंधान में नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है।