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क्या होता है बादल फटना? जानिए क्यों होता है और कैसे करें बचाव 
पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं (तस्वीर: पिक्साबे)

क्या होता है बादल फटना? जानिए क्यों होता है और कैसे करें बचाव 

Jul 08, 2025
05:52 pm

क्या है खबर?

पिछले कुछ दिनों से पहाड़ी राज्यों में मानूसन की बारिश आफत बनकर बरस रही है। इसका सबसे बड़ा कारण बादल फटने की बढ़ती घटनाएं हैं, जो तबाही मचा रही हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी और जम्मू-कश्मीर के पुंछ में बादल मुसीबत बनकर टूटे हैं, जिससे कई घर तबाह हो गए और जानमाल का नुकसान हुआ है। ऐसे में सभी के मन में सवाल उठता है कि बादल कब फटते हैं और इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

बादल फटना 

क्या है बादल फटना?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, अगर किसी एक क्षेत्र के 20-30 वर्ग किलोमीटर दायरे में एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल फटना (क्लाउडबर्स्ट) कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो बहुत कम समय में एक सीमित इलाके में अचानक बहुत भारी बारिश होना। यह ज्यादातर मानसून के दौरान देखने को मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं में एक दशक के भीतर बढ़ी हैं।

वजह 

क्यों फटते हैं बादल?

यह प्रलयकारी घटना तब होती है, जब तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। इससे बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है। इन बादलों को क्यूम्यलोनिम्बस भी कहा जाता है, तो खड़े स्तंभ की तरह होते हैं। ये पहाड़ की चोटियों से टकराकर बरस पड़ते हैं, जिससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है।

बढ़ोतरी 

पहाड़ों पर क्यों बढ़ रही ऐसी घटनाएं?

पहाड़ी इलाकों में इसके अनुकूल परिस्थितियां आसानी से बन जाती है। इस कारण वहां ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं। बादल फटने की घटनाओं के मामले में देश हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं और जम्मू-कश्मीर में भी ऐसी आपदा बढ़ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले सालों में बादल फटने की आपदाओं में ज्‍यादा बढ़ोतरी की आशंका है। इसके लिए पेड़ों को कटाई और बढ़ती अवैध निर्माण गतिविधियां जिम्मेदार हैं।

प्रभाव 

बादल फटने का क्या होता है असर?

बादल फटने की घटनाएं तबाही का मंजर लेकर आती है। इससे बिजली गिरने, ओलावृष्टि और भारी बारिश हो सकती है, जिससे नदी-नालों का जलस्तर अचानक से बढ़ जाता है। इससे किनारे पर बसे इलाकों में संपत्ति के नुकसान के साथ लोगों की जान जाने का भी खतरा रहता है। पहाड़ों पर ढलाने से भारी पानी आने से भूस्खलन की घटना होती है, जिससे रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। पानी का तेज बहाव मार्ग में सब कुछ तहस-नहस कर देता है।

बचाव 

कैसे कर सकते हैं बचाव?

IMD बादल फटने की घटनाओं का पूर्वानुमान व्यक्त करता है, लेकिन सटीक जानकारी नहीं मिलती कि बादल कब और कहां फटेगा। ऐसे में बचाव ही सबसे सही उपाय होता है। कुछ सावधानी रखकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। बादल फटने के दौरान ढलान पर और नदी-नालों के किनारों पर ना रुकें। इसके अलावा मौसम विभाग की ओर से जारी होने वाली चेतावनी को ध्यान में रखें। जल निकासी और पौधारोपण के प्रयास भी कारगर साबित होते हैं।