ट्विटर अकाउंट लॉग-इन करने के लिए कर सकेंगे 'चाभी' का इस्तेमाल
माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने मार्च, 2021 में नए सिक्योरिटी फीचर की जानकारी दी थी और बताया था कि जल्द यूजर्स सिक्योरिटी-की से लॉग-इन कर पाएंगे। अब इस फीचर को सभी यूजर्स को लिए रोलआउट किया जा रहा है और डाटा सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देने वाले यूजर्स केवल 'फिजिकल सिक्योरिटी-की' का इस्तेमाल लॉग-इन के लिए कर पाएंगे। बता दें, यह तरीका मौजूदा टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के मुकाबले कहीं ज्यादा सुरक्षित है।
'चाभी' के बिना अकाउंट में नहीं होगा लॉगिन
ट्विटर यूजर्स को सिक्योरिटी-की के साथ लॉग-इन का विकल्प पहले भी मिल रहा था लेकिन यह टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के साथ इस्तेमाल किया जा सकता था। अब यूजर्स केवल 'सिक्योरिटी-की' का इस्तेमाल लॉगिन के लिए कर सकते हैं। नया ऑथेंटिकेशन फीचर मोबाइल और वेब दोनों प्लेटफॉर्म्स के लिए रोलआउट किया गया है। जो यूजर्स सिक्योरिटी-की का विकल्प चुनेंगे, उन्हें हर बार लॉगिन करने के लिए इस 'चाभी' की जरूरत होगी और इसे प्लग करना होगा।
ट्विटर ने आधिकारिक ब्लॉग में दी जानकारी
आधिकारिक ब्लॉग में माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने बताया, 'किसी भी तरह का टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन होना, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन ना होने के मुकाबले बेहतर है, हालांकि फिजिकल सिक्योरिटी-की सबसे प्रभावी तरीका है।' बता दें, सिक्योरिटी-की घर में रखीं सामान्य चाभियों की तरह दिखने वाली इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज होती हैं। जिस तरह सामान्य चाभियों से ताले खोले जाते हैं, उसी तरह सिक्योरिटी-की के साथ अकाउंट लॉग-इन किए जा सकते हैं। इस की को USB पोर्ट में लगाकर या ब्लूटूथ से कनेक्ट करना होता है।
अभी मिलते हैं ऑथेंटिकेशन के कई विकल्प
ट्विटर ऑथेंटिकशन के कई विकल्प देती है और 2-फैक्टर ऑथेंटिकशन के साथ यूजर्स के फोन पर आने वाले SMS का पिन पासवर्ड के बाद एंटर करना होता है। यानी कि केवल वही यूजर लॉग-इन कर सकता है, जिसके पास फोन नंबर का ऐक्सेस हो।
अकाउंट हैक करना लगभग नामुमकिन
आप फिजिकल सिक्योरिटी-की ऑनलाइन खरीद सकते हैं और अलग-अलग अकाउंट्स में लॉगिन करने के लिए उनका चाभी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। चूंकि, इस सिक्योरिटी-की के बिना लॉगिन नहीं किया जा सकता इसलिए अकाउंट हैक होने का खतरा लगभग ना के बराबर होता है। इस तरह उन अकाउंट्स को सुरक्षित किया जा सकता है, जिनके हैक होने का खतरा ज्यादा होता है। सिक्योरिटी-की की मदद से तब भी अकाउंट सुरक्षित रखा जा सकेगा, जब पासवर्ड फिशिंग की गई हो।
ऐसे काम करती हैं सिक्योरिटी-की
सिक्योरिटी-कीज खास तरह की FIDO और वेब ऑथेंटिकेशन स्टैंडर्ड्स इस्तेमाल करती हैं। यानी कि यूजर्स को पासवर्ड के बजाय एक 'सिक्योरिटी-की' की जरूरत पड़ती है, जिसके बिना वे लॉगिन नहीं कर सकते। ब्लॉग में बताया गया है कि फिजिकल सिक्योरिटी-कीज मालिशियस और ट्रस्टेड साइट्स में फर्क कर सकती हैं और अतिरिक्त सुरक्षा देती हैं। ट्विटर के अलावा गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियां भी अपनी सर्विसेज के लिए फिजिकल-कीज से लॉगिन का विकल्प देती हैं।