कैसे बनती थी ममी? मृतकों को वर्षों सुरक्षित रखने का मिस्र का रहस्य आया सामने
मिस्र के पुरातात्विक खोजों में ममी हमेशा से एक गहरे रहस्य का विषय रहा है। मिस्र में तूतनखामेन से लेकर कई राजाओं और गुरुओं को ममीकरण (ममीफिकेशन) करके रखा गया है। इसको लेकर मिस्र के प्राचीन लोगों, शोधकर्ताओं और पुरातत्वविदों की अपनी-अपनी राय है। अब शोधकर्ताओं ने अब मिस्र के मृतकों के ममीकरण के लिए हजारों सालों से इस्तेमाल होने वाली प्रक्रिया और उसमें इस्तेमाल होने वाले पदार्थों का पता लगा लिया है।
ममीकरण में इस्तेमाल होने वाले पदार्थों की पहचान
ममीकरण का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने उसमें इस्तेमाल होने वाले पदार्थों और रसायन शास्त्र का उपयोग किया। प्रक्रिया का विवरण नेचर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। ये विवरण पुरातात्विक खोज पर आधारित है। इस अध्ययन में लगभग एक दर्जन ऐसे पदार्थों की पहचान की गई है, जो मृत शरीर को संरक्षित करने और उसकी बदबू को रोकने के लिए शरीर पर लपेटी जाती थी, जबकि वो खोज आज के विज्ञान की प्रगति से वर्षों पहले की है।
दुनिया के दूर-दराज से लाई जाती थी ममी बनाने की सामग्री
यॉर्क विश्वविद्यालय के एक पुरातत्वविद जोआन फ्लेचर ने समाचार एजेंसी AP को बताया, "प्राचीन मिस्र के लोगों को इस बात का बेहतरीन ज्ञान था कि कौन से पदार्थ उनके मृतकों को संरक्षित करने में मदद करेंगे।" मृतक शरीर को ममी बनाने के लिए तैयार किए जाने वाले लेप को दुनिया के दूर-दराज क्षेत्रों से लाई गई सामग्री से बनाया जाता था। इनमें से कुछ पदार्थों को दक्षिण पूर्व एशिया से भी आयात किया जाता था।
मिस्र के दिवंगत वैज्ञानिक रमादान हुसैन ने की महत्वपूर्ण खोज
मिस्र के लोग मृतक को सालों सुरक्षित रखने के लिए विशेष लेप का इस्तेमाल करते थे। यह काम जिस वर्कशॉप में होता था, उसकी खोज मिस्र के दिवंगत वैज्ञानिक रमादान हुसैन ने 2016 में की थी। यह उनास के पुराने पिरामिड और जोसर के स्टेप पिरामिड के खंडहरों में थी। यहां बीकर और कटोरे जैसे बर्तन होते थे, जिन पर सामग्री के प्राचीन नामों के साथ उनके इस्तेमाल करने से जुड़े निर्देश लिखे होते थे।
नमक से सुखाया जाता था मृत शरीर
एक अन्य पुरातत्वविद फिलिप स्टॉकहैमर ने बताया कि अधिकांश पदार्थ मिस्र के बाहर के होते थे। इनमें देवदार का तेल, जुनिपर और सरू का तेल, राल, कोलतार और जैतून का तेल आदि शामिल थे। इनमें दक्षिण पूर्व एशिया के जंगलों में पाए जाने वाले पदार्थ भी, जिनमें डैमर पेड़ से पैदा होने वाला गोंद, एलमी पेड़ की राल थी आदि। ममीकरण की प्रक्रिया में शरीर को नमक से सुखाये जाने की बात भी सामने आई है।
मिस्र के ग्रंथों में मिलने वाले "एंटियू" का मतलब पता चला
शोधकर्ता "एंटियू" का अर्थ भी डिकोड करने में सफल रहे, जो मिस्र के बहुत सारे ग्रंथों में दिखता है। देवदार, जुनिपर, सरू के तेल और पशुओं की चर्बी के मिश्रण को एंटियू कहा जाता था। एलिमी राल, पिस्ता राल, जुनिपर या सरू के उप-उत्पाद और मोम जैसे अवयवों की पहचान सिर में लगाए जाने वाले लेप के तौर पर की गई। अन्य तत्वों का इस्तेमाल त्वचा को मुलायम बनाए रखने और शरीर को साफ रखने के लिए किया जाता था।