
नासा बना रही गुरुत्वाकर्षण मापने की तकनीक, पृथ्वी के अंदर खनिज भंडारों का भी लगेगा पता
क्या है खबर?
नासा के वैज्ञानिक पृथ्वी की निचली कक्षा के लिए एक नई क्वांटम सेंसर तकनीक बना रहे हैं, जो धरती के गुरुत्वाकर्षण में होने वाले बेहद हल्के बदलावों का भी पता लगा सकेगी।
यह गुरुत्वाकर्षण माप के लिए पहला अंतरिक्ष-आधारित क्वांटम सेंसर होगा, जिसका नाम क्वांटम ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर पाथफाइंडर (QGGPf) है।
इसका आकार एक छोटी वॉशिंग मशीन जितना और वजन लगभग 125 किलो है। नासा इस दशक के अंत तक इसका परीक्षण अंतरिक्ष में करने की योजना बना रही है।
काम
यह सेंसर कैसे करता है काम?
इस तकनीक में परमाणुओं के बादलों को बेहद ठंडा कर मुक्त रूप से गिराया जाता है।
लेजर की मदद से ये परमाणु 2 भागों में बंटते हैं और फिर वापस मिलते हैं। इनके मिलने के दौरान जो हल्का हस्तक्षेप होता है, उसी से वैज्ञानिक पता लगाते हैं कि गुरुत्वाकर्षण में कितना बदलाव आया है।
यह तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं ज्यादा संवेदनशील और सटीक है, साथ ही पर्यावरण के असर से भी कम प्रभावित होती है।
संभावनाएं
इसके फायदे और संभावनाएं
इस सेंसर की मदद से वैज्ञानिक पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद जल स्रोतों, खनिज भंडारों और टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों का पता लगा सकते हैं।
इसके जरिए हिमालय जैसे भारी क्षेत्रों का भी भार मापा जा सकता है। यह तकनीक नेविगेशन, संसाधन प्रबंधन और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे क्वांटम तकनीक के और विकास का रास्ता खुलेगा।