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    जानें कौन है स्टेफनिया मारासिनेनु, जिन्हें गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
    जानें कौन है स्टेफनिया मारासिनेनु, जिन्हे गूगल ने डूडल बनाकर किया याद (तस्वीरः गूगल)

    जानें कौन है स्टेफनिया मारासिनेनु, जिन्हें गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

    लेखन रोहित राजपूत
    Jun 18, 2022
    05:03 pm

    क्या है खबर?

    गूगल कंपनी डूडल के जरिए रोमानियाई भौतिक विज्ञानी स्टेफनिया मोरिसीनेनु का 140वां जन्मदिन मना रहा है। स्टेफनिया मोरिसीनेनु एक भौतिकी विज्ञानी हैं, जिनका रेडियोएक्टिविटी की खोज और रिसर्च में बड़ा योगदान रहा है।

    स्टेफनिया का जन्म बुखारेस्ट में हुआ था और इन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक रूप में की थी।

    आइए जानते हैं कौन है स्टेफनिया जिनके जन्मदिन पर गूगल इस खास तरह से उन्हें श्रद्धांजली दे रहा है।

    जानकारी

    कौन हैं स्टेफानिया मोरिसीनेनु?

    स्टेफनिया मोरिसीनेनु का जन्म 18 जून, 1882 को बुखारेस्ट में हुआ था, जहां पर इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।

    स्टेफनिया मोरिसीनेनु ने 1910 में भौतिक और रासायनिक विज्ञान की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

    स्टेफनिया ने बुखारेस्ट में ही सेंट्रल स्कूल फॉर गर्ल्स में एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरूआत की।

    उन्होंने रोमानियाई विज्ञान मंत्रालय से स्कॉलरशिप प्राप्त की और बाद में पेरिस में रेडियम संस्थान में ग्रेजुएट रिसर्च करने का फैसला किया।

    जानकारी

    मैरी क्यूरी ने की थी पोलोनियम की खोज

    भौतिक विज्ञानी मैरी क्यूरी के निर्देशन में पेरिस रेडियम संस्थान उस समय दुनिया भर में रेडियोएक्टिविटी के अध्ययन का केंद्र बन रहा था। स्टेफनिया ने पोलोनियम पर अपनी PhD थीसिस पर काम करना शुरू किया। यह वही तत्व है जिसकी खोज क्यूरी ने की थी।

    जानकारी

    स्टेफनिया मोरेसिनेनु ने दो साल में पूरी की थी PhD

    पोलोनियम पर रिसर्च के दौरान मोरेसिनेनु ने देखा कि इसका आधा जीवन उस धातु के प्रकार पर निर्भर करता था, जिस पर इसे रखा गया था।

    उन्होंने सोचा कि क्या पोलोनियम से अल्फा किरणों ने धातु के कुछ परमाणुओं को रेडियोएक्टिव आइसोटोप में ट्रांसफर कर दिया था। उनके शोध ने कृत्रिम रेडियोधर्मिता का पहला उदाहरण दिया था।

    स्टेफनिया मोरेसिनेनु ने सिर्फ दो साल में अपनी PhD पूरी कर ली थी।

    कृत्रिम वर्षा

    कृत्रिम वर्षा के रिसर्च पर बिताया अपना ज्यादा समय

    मेडॉन में चार साल काम करने के बाद स्टेफनिया रोमानिीया वापस लौट आईं और देश की पहली प्रयोगशाला की नींव रखी।

    स्टेफनिया ने अपना अधिकांश समय कृत्रिम वर्षा पर रिसर्च करते हुए बिताया। इसमें उसके परिणामों की टेस्टिंग करने के लिए अल्जीरिया की यात्रा भी शामिल थी।

    उन्होंने भूकंप और वर्षा के बीच की कड़ी का भी अध्ययन किया। वह यह रिपोर्ट करने वाली पहली महिला बनीं कि भूकंप के केंद्र में रेडियोधर्मिता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

    जानकारी

    1936 में रोमानिया स्टेफनिया के काम को मिली मान्यता

    1935 में मैरी क्यूरी की बेटी आइरीन करी और उनके पति को कृत्रिम रेडियोधर्मिता की खोज के लिए संयुक्त नोबेल पुरस्कार मिला।

    स्टेफनिया ने नोबेल पुरस्कार का चुनाव नहीं किया, लेकिन इस बात की निंदा की कि खोज में उनको मान्यता मिले।

    1936 में रोमानिया की विज्ञान अकादमी ने स्टेफनिया के काम को मान्यता दी और उन्हें अनुसंधान निदेशक के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया।

    हालांकि, उन्हें खोज के लिए कभी भी वैश्विक मान्यता नहीं मिली।

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