
कौन थीं देश की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख, जिन्हें गूगल ने डूडल बनाकर किया याद?
क्या है खबर?
शिक्षा के प्रति अलख जगाने वालीं देश की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख की आज जयंती है।
फातिमा का जन्म 9 जनवरी, 1831 को पुणे में हुआ था। इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उनको सम्मानित किया है।
फातिमा शेख ने महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ 1848 में स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना की थी, जो कि लड़कियों के लिए भारत के पहले स्कूलों में से एक था।
फातिमा शेख
गूगल डूडल ने फातिमा शेख को कैसे याद किया?
फातिमा की 191वीं जयंती पर गूगल ने सफेद, नीले और पीले रंग का प्रयोग करते हुए गूगल डूडल के पिछले हिस्से में दो खुली किताबों के साथ फातिमा का एनिमेटेड डूडल बनाया है।
यह गूगल डूडल बहुत ही सरल है. फिर भी एक नजर में यह उनके करियर को प्रस्तुत करता है।
बता दें कि कि गूगल ऐसे लोगों के लिए अक्सर डूडल तैयार करता रहता है और उनके प्रति अपना सम्मान जाहिर करता रहता है।
समाज
निचली जातियों को शिक्षित करने के कारण समाज से बाहर निकाली गई थीं फातिमा
फातिमा अपने भाई उस्मान के साथ रहती थीं और उन्हें और उनके भाई को निचली जातियों के लोगों को शिक्षित करने के कारण समाज से बाहर निकाल दिया गया था।
इसके बाद दोनों भाई-बहन सावित्रीबाई फुले से मिले और उनके साथ मिलकर दलित, मुस्लिम महिलाओं और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था।
इसके साथ ही वह घर-घर जाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को स्वदेशी पुस्तकालय में पढ़ने के लिए आमंत्रित किया करती थीं।
विरोध
पढ़ाने के लिए फातिमा को करना पड़ा था भारी विरोध का सामना
फातिमा चाहती थीं कि भारतीय जाति व्यवस्था की बाधा पार कर वंचित वर्ग के बच्चे स्वदेशी पुस्तकालय में आएं और पढ़ें।
उन्होंने फुले दंपती की तरह जीवन भर शिक्षा और समानता के लिए संघर्ष किया।
अपने इस मिशन में उन्हें भारी अवरोधों का भी सामना करना पड़ा। समाज के प्रभावशाली तबके ने उनके काम में रोड़े डाले। उन्हें परेशान किया गया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें और उनके सहयोगियों ने इसे जारी रखा।
जानकारी
2014 में फातिमा को मिली किताबों में जगह
बता दें कि भारत सरकार ने 2014 में फातिमा शेख की उपलब्धियों को याद किया और अन्य अग्रणी शिक्षकों के साथ उर्दू पाठ्यपुस्तकों में उनके प्रोफाइल को जगह दी, ताकि सभी बच्चे उनके बारे में अधिक से अधिक जान सकें।