अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः भारतीय महिलाएं जिन्होंने विज्ञान और तकनीकी को दिया नया आयाम
भारतीय महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ ये औरतें देश के विकास में भी योगदान देती आ रही हैं। भारतीय महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या फिर विज्ञान और टेक्नोलॉजी का क्षेत्र हो। आज हम बात करेंगे उन महिलाओं की जिन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अपने बेहतरीन काम से पूरी दुनिया में भारत का नाम रौशन किया है।
अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला कल्पना चावला
हरियाणा की रहने वाली कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल के महिला पहली अंतरिक्ष यात्री थी। कल्पना 1982 में अमेरिका चली गईं थी। 1984 में उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की और 1988 में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय से PhD की। उन्होंने 1997 में एक मिशन विशेषज्ञ और प्राइमरी रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में स्पेस शटल कोलंबिया से उड़ान भरी थी। 1 फरवरी, 2003 को वापिस लौटते समय इनकी मौत हो गई।
भारत की ह्यूमन कंप्यूटर थी शकुंतला देवी
शकुंतला देवी एक भारतीय गणितज्ञ, लेखक और मेंटल कैलकुलेटर थीं, जिन्हें 'ह्यूमन कंप्यूटर' रूप में भी जाना जाता है। इनकी प्रतिभा ने इन्हें द गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स 1982 के एडिशन में जगह भी दिलाई। हालांकि, रिकॉर्ड के लिए प्रमाण पत्र 30 जुलाई, 2020 को मरणोपरांत दिया गया था, जबकि इन्होंने 18 जून, 1980 को इंपीरियल कॉलेज, लंदन में अपना विश्व रिकॉर्ड हासिल किया था। शकुंतला देवी पर बॉलीवुड फिल्म भी बन चुकी है।
मिसाइल वॉमन ऑफ इंडिया टेसी थॉमस
टेसी थॉमस एयरोनॉटिकल सिस्टम के डॉयरेक्टर जनरल और भारत में मिसाइल प्रोजेक्ट का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। टेसी 1988 में DRDO में शामिल हुईं, जहां उन्होंने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल, अग्नि के डिजाइन और विकास पर काम किया और अग्नि-IV मिसाइल की प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर भी बनीं। इसके लिए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें चुना था। मिसाइल तकनीकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इनको लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
रॉकेट वॉमन ऑफ इंडिया के रुप में जानी जाती हैं रितु करिधल
डॉक्टर रितु करिधल श्रीवास्तव एयरोस्पेस इंजीनियर और इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के साथ काम करने वाली भारतीय वैज्ञानिक हैं। उन्हें 'रॉकेट वॉमन ऑफ इंडिया' के रूप में भी जाना जाता है। करिधल 1997 से ISRO के लिए काम कर रही है। उन्होंने भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन, मंगलयान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह इस मिशन की डिप्टी ऑपरेशंस डॉयरेक्टर रह चुकी हैं। करिधल को 2007 में एपीजे अब्दुल कलाम से 'ISRO यंग साइंटिस्ट अवार्ड' भी मिला।
पहली भारतीय महिला चिकित्सक थीं आनंदीबाई
आनंदीबाई गोपालराव जोशी पहली भारतीय महिला चिकित्सक थीं। आनंदीबाई, अमेरिका में पश्चिमी चिकित्सा में दो साल की डिग्री के साथ स्नातक होने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं। उनकी शादी कम उम्र में कर दी गई और 14 साल की उम्र में वह मां बन गई। चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण उनके नवजात शिशु की मृत्यु ने उन्हें चिकित्सक बनने के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद आनंदीबाई ने 1886 में पेन्सिलवेनिया के महिला मेडिकल कॉलेज में अध्ययन किया।
'पद्म श्री' पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहली भारतीय वैज्ञानिक थी जानकी अम्माल
अम्माल 1977 में 'पद्म श्री' पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहली भारतीय वैज्ञानिक थी, जो बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर के पद पर भी कार्यरत रहीं। 1900 के दशक में अम्माल ने वनस्पति विज्ञान को अपनाया, जो उस समय महिलाओं के लिए एक असामान्य विषय था। उन्होंने 1921 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से वनस्पति विज्ञान में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की। अम्माल ने पौधों की प्रजातियों के भौगोलिक वितरण से संबंधित जानकारी के लिए साइटोजेनेटिक्स में वैज्ञानिक रिसर्च भी किया।
विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला
असीमा चटर्जी भारतीय केमिस्ट और विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थी। उन्हें कार्बनिक रसायन विज्ञान और फाइटोकेमिस्ट्री (पौधों से प्राप्त रसायन) के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए जाना जाता है। असीमा ने 1936 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से रसायन विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। असीमा ने मिरगी-रोधी और मलेरिया-रोधी दवाओं का भी विकास के साथ विंका एल्कलॉइड्स पर भी शोध किया जो अपने कैंसर-रोधी गुणों के कारण जाना जाता है।