
भारत ने 2024-25 में केवल 7 अंतरिक्ष मिशन किए लॉन्च, जानिए कितना तय किया था लक्ष्य
क्या है खबर?
भारत अंतरिक्ष मिशन लॉन्च करने के अपने लक्ष्य में पिछले 1 साल में पीछे रहा है।
फरवरी, 2024 में सरकारी एजेंसी IN-SPACE ने घोषणा की थी कि जनवरी, 2024 से मार्च, 2025 के बीच 30 रॉकेट लॉन्च होंगे, लेकिन अब तक केवल 7 ही हो पाए हैं, जो कुल लक्ष्य का 23 प्रतिशत है।
इनमें ISRO ने 5, NSIL ने 1 और एक निजी कंपनी ने परीक्षण किया। इससे घोषणाओं और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर साफ दिखता है।
प्रगति
वैश्विक तुलना में भारत की धीमी प्रगति
भारत जहां 15 महीनों में 7 लॉन्च कर पाया, वहीं अमेरिकी कंपनी स्पेस-X ने 2024 में 148 लॉन्च का लक्ष्य रखा और 134 पूरे किए, यानी 90 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया।
रॉकेट लैब जैसी छोटी कंपनियां भी 72 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर चुकी हैं। भारत की तुलना में ये कंपनियां लगातार अपनी गति बढ़ा रही हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपने कार्यान्वयन को मजबूत करना होगा।
चुनौतियां
स्टार्टअप्स की भूमिका और चुनौतियां
IN-SPACE का उद्देश्य निजी कंपनियों को अंतरिक्ष में काम करने के लिए सहयोग देना है, लेकिन भारत में रॉकेट स्टार्टअप अभी शुरुआती दौर में हैं और उन्होंने केवल परीक्षण किए हैं।
अभी तक किसी स्टार्टअप ने स्पेस में पूरी तरह से लॉन्च नहीं किया है। इसके बावजूद IN-SPACE ने एक साल में 4 गुना लॉन्च वृद्धि की बात की थी।
विशेषज्ञ सवाल करते हैं कि इतनी कमजोर तैयारी के बावजूद इतना बड़ा लक्ष्य कैसे तय किया गया।
एजेंसियां
समन्वय की कमी और सरकारी एजेंसियां
ISRO, NSIL और IN-SPACE तीनों भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के तहत आते हैं, लेकिन इनके बीच समन्वय की कमी दिखाई दे रही है।
IN-SPACE ने सार्वजनिक रूप से जो लक्ष्य घोषित किए, उन्हें ISRO और NSIL ने स्वीकार नहीं किया। इससे नियोजन में भ्रम पैदा होता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि जब तक सभी एजेंसियां एकजुट होकर काम नहीं करतीं, तब तक भारत की अंतरिक्ष योजनाएं सफल नहीं हो पाएंगी।
सुधार
सुधार की जरूरत और रिपोर्ट की चेतावनी
FICCI और EY की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इसे पाने के लिए 'कार्रवाई के साथ योजना' जरूरी है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अलग-अलग विभागों में समन्वय की कमी और नौकरशाही से फैसले लेट हो रहे हैं।
रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में तेज निर्णय के लिए सिंगल विंडो सिस्टम होना चाहिए, ताकि भारत वैश्विक रफ्तार पकड़ सके।