AI का ज्यादा इस्तेमाल इंसानों के सोचने की क्षमता कर सकता है कम- शोध
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का अधिक उपयोग इंसानों के सोचने की क्षमता को कम कर सकता है। इस बात का खुलासा माइक्रोसॉफ्ट और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक शोध में किया है।
जब लोग AI पर निर्भर होते हैं, तो वे खुद सोचने के बजाय AI की दी गई जानकारी को जांचने लगते हैं, जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता घट सकती है।
ज्यादा AI का इस्तेमाल करने से लोग समस्याओं को हल करने में कमजोर हो सकते हैं।
अनुभव
अध्ययन में कर्मचारियों के अनुभवों को परखा गया
इस अध्ययन में 319 लोगों ने भाग लिया, जिन्होंने बताया कि वे AI का इस्तेमाल लिखने, कुछ खोजना और सलाह लेने के लिए करते हैं।
उनसे पूछा गया कि क्या वे AI के साथ काम करते समय आलोचनात्मक सोच का इस्तेमाल करते हैं।
लगभग 36 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे AI की गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं, लेकिन बाकी लोग AI पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं, जिससे उनकी सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
सतर्क
कुछ कर्मचारी रहें AI की गलतियों को सुधारने के लिए सतर्क
कुछ कर्मचारियों ने बताया कि वे AI द्वारा लिखे गए ईमेल या रिपोर्ट को दोबारा जांचते हैं, ताकि कोई गंभीर गलती न हो जाए।
एक व्यक्ति ने कहा कि उसने अपनी परफॉर्मेंस समीक्षा के लिए AI का इस्तेमाल किया, लेकिन गलती के डर से इसे ठीक से परखा।
कई लोगों ने AI की जानकारी को सत्यापित करने के लिए विकिपीडिया और यूट्यूब जैसे अन्य सोर्स का सहारा लिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि AI हमेशा पूरी तरह भरोसेमंद नहीं होता।
क्षमता
कैसे सोचने की क्षमता को कमजोर कर सकता है AI?
शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग AI पर ज्यादा भरोसा करते हैं, वे कम आलोचनात्मक सोच का इस्तेमाल करते हैं।
अध्ययन में कहा गया कि AI की सीमाओं को समझना जरूरी है, लेकिन हर कोई इसे नहीं समझता। अगर लोग AI की कमजोरियों से अवगत नहीं होते, तो वे उसकी गलतियों को पकड़ने में असमर्थ रह सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि AI का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए, ताकि हमारी समस्या हल करने की क्षमता को कमजोर न हो।