कर्नाटक: राष्ट्रीय ध्वज पर मंत्री का विवादित बयान, कांग्रेस की मांग- देशद्रोह के लिए बर्खास्त हों

भविष्य में भगवा झंडे के राष्ट्रीय ध्वज बनने के कर्नाटक के मंत्री केएस ईश्वरप्पा के बयान पर राज्य में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भाजपा पर राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप लगाया है और मामले में मंत्री का इस्तीफा मांगा है। उसने मंत्री पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग भी की है। अपनी इन मांगों को लेकर कांग्रेस विधायकों ने गुरूवार को पूरी रात विधानसभा में ही गुजारी और यहीं सो गए।
कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री ईश्वरप्पा ने पिछले हफ्ते एक सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय झंडे पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भविष्य में किसी दिन भगवा ध्वज राष्ट्रीय ध्वज बन सकता है और इसे फिर लाल किले से फहराया जा सकता है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने ये कहा था कि अभी तिरंगा राष्ट्रीय झंडा है और सभी को इसका सम्मान करना चाहिए।
इस बयान के सामने आने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं और बुधवार को कांग्रेस ने सदन की कार्रवाई स्थगित करके ईश्वरप्पा को मंत्री पद से बर्खास्त करने और उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की मांग की थी। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी ये मांगें ठुकरा दीं। गुरूवार को भी कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में अपना प्रदर्शन जारी रखा और सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद वो विधानसभा में ही रहे।
गतिरोध को तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कगेरी और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने नेता विपक्ष और कांगेस विधानसभा दल के नेता सिद्धारमैया के साथ एक लंबी बैठक की, हालांकि इसमें भी कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार समेत तमाम कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की कैंटीन में ही खाना खाया और फिर सदन में सो गए। तस्वीरों में उन्हें गद्दे-तकियों का इंतजाम करके सदन में सोते हुए देखा जा सकता है।
इससे पहले दिन में विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए सिद्धारमैया ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर राष्ट्रीय झंडे का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि मामले को एक तार्किक अंत तक ले जाने के लिए कांग्रेस ने 'दिन-रात' प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा, "राज्यपाल को अब तक मामले में दखल देकर ईश्वरप्पा को बर्खास्त करने का निर्देश दे देना चाहिए था। मुख्यमंत्री भी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।"
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री बोम्मई ने ईश्वरप्पा का बचाव किया है और वो एक तरह से उनके बयान का समर्थन करते हुए नजर आए। उन्होंने कहा, "ईश्वरप्पा के बयान में कुछ गलत नहीं है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो कानून के खिलाफ हो। कांग्रेस के पास कोई और मुद्दा नहीं है, इसलिए वो ये कर रहे हैं।" ईश्वरप्पा ने भी इस्तीफा देने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वो एक देशभक्त हैं और आपातकाल के समय जेल गए थे।