बिना पंख फड़फड़ाए 160 किमी तक उड़ान भर सकता है यह पक्षी, जानिये कैसे
क्या है खबर?
हर पक्षी के पास प्राकृतिक तौर पर अलग विलक्षण प्रतिभा होती है। एंडियन कोंडोर (Andean Condor) नामक पक्षी भी इस सूची में शामिल है जिसके पंख 10 फीट तक फैलते हैं और यह लगभग 15 किलो के वजन का होता है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि ये पक्षी हवा में घंटों तक बिना अपने पंख फड़फड़ाए उड़ सकता है और वह ऐसा करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है।
अध्ययन
वैज्ञानिकों ने ऐसे किया एंडियन कोंडोर की उड़ान का अध्ययन
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पहली बार आठ एंडियन कोंडोर में रिकॉर्डिंग उपकरण बांधे जिन्होंने उनके पंख की फड़फड़ाहट को रिकॉर्ड किया।
इन रिकॉर्डिंग उपकरण द्वारा वैज्ञानिकों ने कोंडोर की 250 घंटों की उड़ान का अवलोकन किया, जिससे यह पता लगा कि ये पक्षी अपने पंख फड़फड़ाए बिना 160 किमी तक का सफर आराम से तय कर लेते हैं।
इस अध्ययन के नतीजे 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस जर्नल' में प्रकाशित हुए हैं।
बयान
बहुत शानदार उड़ान भरते हैं एंडियन कोंडोर
इस अध्ययन में शामिल हुए शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन में शामिल एंडियन कोंडोर वयस्क नहीं थे, फिर भी उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से उड़ान भरी।
वहीं अध्ययन की सहलेखिका और वेल्स में स्वानसी यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट एमिली शेफर्ड ने बताया, "कोंडोर बहुत ही माहिर पायलट होते हैं। लेकिन हमें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि वे इतने ज्यादा माहिर होंगे। हालांकि कुछ मामलों में यह उतनी चौंकाने वाली बात नहीं है।"
परेशानियां
ऐसे आती है बिना पंख फड़फड़ाएं उड़ान भरने की क्षमता
गौरतलब है कि पक्षियों को आकाश में उड़ान भरते समय कई ऐसी चीजों का सामना करना पड़ता है जो शायद इंसानी नजरों से परे होती हैं, जैसे हवा के तेज झोंके, उठती हुई गर्म हवा की तरंगें और कई छोटे-छोटे इंसानी कण आदि।
ऐसे बदलते माहौल में हवा की धाराओं में उड़ना सीखने से कुछ पक्षियों में बिना पंख फड़फड़ाए ही लंबी दूरी तक उड़ान भरने की क्षमता आ जाती है। एंडियन कोंडोर इसका सटीक उदाहरण हैं।
प्रकार
दो तरह की होती है पक्षियों की उड़ान
पक्षियों की उड़ान पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक के मुताबिक, पक्षियों की उड़ान दो प्रकार की होती हैं जिनमें से एक तो पंख फड़फड़ाने वाली उड़ान और दूसरी ग्लाइडिंग जैसी उड़ान जिसे सोअरिंग फ्लाइट भी कहा जाता हैं।
इस बारे में एक बर्ड फ्लाइट विशेषज्ञ ब्रेट टोबाल्स्के का कहना है कि यह बिलकुल वैसे है जैसे पहाड़ चढ़ने के लिए साइकल पर पैडल मारना पड़ता है लेकिन उतरते समय नहीं।