भारत में भाई दूज क्यों मनाया जाता है? जानिए इसकी धार्मिक वजह
भाई दूज, पाँच दिवसीय दिवाली उत्सव के अंतिम दिन मनाया जाता है। यह भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है। कहीं भी भाई-बहन के बंधन का इतना सम्मान नहीं किया जाता है, जितना भारत में किया जाता है। बहनें इस दिन भाईयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं और भाई बहनों की रक्षा की क़समें खाते हैं। भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। आइए जानें आख़िर क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
भाई दूज के बारे में जानकारी
भाई दूज एक हिंदू त्योहार है, जो पाँच दिवसीय दिवाली के अंतिम दिन मनाया जाता है। यह भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। भाई दूज लगभग रक्षा बंधन की तरह ही है। यह कार्तिक माह के हिंदू चंद्र महीने के दूसरे दिन पड़ता है। शुभ महीने के दूसरे दिन को 'दोज' या 'द्वितीया' कहा जाता है, इसलिए इस दिन भाई दूज या भतरू द्वितीया नाम से त्योहार मनाया जाता है।
भारत और नेपाल में मनाया जाता है यह त्योहार
भाई दूज ज़्यादातर भारत और नेपाल में मनाया जाता है। नेपाल में इसे 'भाई टीका' के नाम से जाना जाता है। भारत में इसके अलग-अलग नाम हैं; भाई दूज, भाई फोंटा, भाई बिज, भाउ बीज, भतरू द्वितीया और भतेरी दित्य आदि।
एक दूसरे से अलग हैं भाई दूज और रक्षा बंधन
हालाँकि, भाई दूज और रक्षा बंधन दोनों को समान रूप से मनाया जाता है, लेकिन दोनों काफ़ी अलग हैं। भाई दूज पर बहनें अपने भाईयों की लंबी आयु और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन बहनें अपने भाईयों को आमंत्रित करती हैं और पारंपरिक आरती के बाद टीका समारोह किया जाता है। यह त्योहार भाई के कर्तव्य को दर्शाता है कि वह अपनी बहन की रक्षा करे और उसके लिए आशीर्वाद प्राप्त करे।
मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ा है त्योहार
विशेष रूप से भाई दूज मनाने के पीछे दो कहानियाँ हैं। पहला मृत्यु के देवता भगवान यम ने अपनी बहन यमी (यमुना नदी) के घर का दौरा किया। इससे वो बहुत खुश हुईं और आरती एवं टीका समारोह करके उनका स्वागत करती हैं। यमी के स्नेह और प्रेम को देखकर यमराज ने कहा कि जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाता है और इस दिन आरती-तिलक कराता है, उसे मृत्यु का भय नहीं होता है।
भाई दूज को यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है
यह माना जाता है कि भगवान यम और यमी भाई-बहन थे। कार्तिक माह के दूसरे दिन उनकी मुलाक़ात कई सालों बाद हुई और यमराज को उनकी बहन का प्यार मिला। इसलिए, भाई दूज को यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा की कहानी
एक अन्य लोकप्रिय हिंदू व्याख्या यह है कि भगवान श्रीकृष्ण (राक्षस नरकासुर की मृत्यु के बाद) विजयी होकर लौटे और कार्तिक माह के दूसरे दिन अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। अपने भाई को देखकर बहुत खुश हुई सुभद्रा ने आरती की रस्म अदा करके और टीका लगाकर उनका स्वागत किया। उन्होंने भगवान कृष्ण के ऊपर फूलों की वर्षा की और फिर उन्हें मिठाई भेंट की। बहनें आज भी ऐसे ही पारंपरिक समारोह करती हैं।
जैन धर्म के संस्थापक महावीर की कहानी
भाई दूज को जैन धर्म के संस्थापक महावीर से भी जोड़ा जाता है। जब महावीर ने सभी पारिवारिक बंधनों को तोड़कर निर्वाण प्राप्त किया, तो उनके भाई राजा नंदिवर्धन महावीर को याद करके बहुत दुखी थे। उस समय उनकी बहन सुदर्शन ने दिलासा दिया था।