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बसंत पंचमी के दिन करें सरस्वती माता के इन प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा, बरसेगी उनकी कृपा

बसंत पंचमी के दिन करें सरस्वती माता के इन प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा, बरसेगी उनकी कृपा

लेखन सयाली
Jan 31, 2025
03:26 pm

क्या है खबर?

बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व रखता है, जो 2 फरवरी को पड़ने वाला है। इसे मां सरस्वती के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं। आप इस पावन दिन पर अपने परिवार के साथ मां सरस्वती के इन प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा कर सकते हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन मात्र से बुद्धि बढ़ती है और कला को निखारा जा सकता है।

#1

सावित्री देवी मंदिर

सावित्री देवी मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के शहर पुष्कर में स्थित है और इसे यहां का सबसे धार्मिक स्थान माना जाता है। यह मंदिर लगभग 750 फीट की ऊंचाई पर बना है और यहां 970 सीढ़ियां मौजूद हैं। इस मंदिर के अंदर ब्रह्मा जी की पत्नियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं, जिनका नाम सावित्री और गायत्री था। साथ ही, यहां पर मां शारदा और मां सरस्वती की भी प्रतिमाएं मौजूद हैं।

#2

माता सरस्वती मंदिर

माता सरस्वती मंदिर एक दिव्य मंदिर है, जो बुद्धि की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। यह उत्तराखंड के माणा गांव के पास स्थित है, जो बद्रीनाथ से सिर्फ 3 किमी दूर है। यह पवित्र स्थल वेदों और शास्त्रों में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे देवी सरस्वती का जन्मस्थान माना जाता है। यहीं से सरस्वती नदी की धारा निकलती है। कुछ पौराणिक कहानियां इस स्थल को पांडवों की स्वर्ग यात्रा से भी जोड़ती हैं।

#3

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर

भारत का सबसे प्रसिद्ध सरस्वती मंदिर है श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर, जो तेलंगाना के बसरा में स्थित है। बसंत पंचमी के त्योहार पर हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में अक्षराभ्यास नाम की पूजा होती है, जो बच्चों की पढ़ाई शुरू होने से पहले की जाती है। पौराणिक कथाओं की मानें तो महाभारत युद्ध के बाद इसी जगह पर वेदव्यास ने देवी सरस्वती की तपस्या की थी। इससे प्रसन्न हो कर देवी ने उन्हें दर्शन दिए थे।

#4

कुथनूर महा सरस्वती मंदिर

तमिलनाडु स्थित कुथनूर महा सरस्वती मंदिर बेहद लोकप्रिय मंदिर है, जिसे पहले अम्बालापुरी के नाम से जाना जाता था। मान्यताओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और सरस्वती माता के बीच बहस हो गई थी। इसके कारण उन्हें पृथ्वी पर भाई-बहन के रूप में जन्म लेना पड़ा था। इसके बाद, भगवान शिव ने मां सरस्वती को गंगा नदी में विलीन करके अरसलार नदी का रूप दिया था। माना जाता है कि इस मंदिर में आने से पाप मिट जाते हैं।

#5

दक्षिण मूकाम्बिका मंदिर 

केरल के उत्तरी पारवूर में स्थित दक्षिण मूकाम्बिका मंदिर एक प्रतिष्ठित सरस्वती मंदिर है। कमल के तालाब से घिरे इस मंदिर के गर्भगृह में कई भगवानों की मूर्तियां स्थापित हैं। परवूर के शासक थंपुरन अपने खराब स्वास्थ्य के कारण मैंगलोर में कोल्लूर मंदिर नहीं जा पा रहे थे। एक दिन उनके सपने में मूकाम्बिका देवी आईं थीं और उन्होंने राजा से उनका मंदिर बनवाने को कहा था। इसके बाद ही परवूर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।