मास्क लगाओ, लटकाओ मत: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को रोक सकता है मास्क
देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले तेजी से बढ़ते हुए पांच लाख के पास पहुंच गए हैं। लॉकडाउन की पाबंदियों में मिली ढील और लोगों की आवाजाही शुरू होने के बाद मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है। तेजी से फैलते संक्रमण के बीच कुछ लोग पर्याप्त सावधानी नहीं बरत रहे हैं, जो महामारी के खतरे के और बढ़ा सकती है। इससे न सिर्फ संक्रमण तेजी से फैलेगा बल्कि कोरोना के खिलाफ हमारी लड़ाई भी कमजोर होगी।
मास्क को लेकर लापरवाही बरत रहे लोग
बाजारों में या गलियों में निकलने पर आमतौर पर देखा जाता है कि लोग बिना मास्क बाहर घूम रहे होते हैं। बहुत लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास मास्क होता है, लेकिन वो उनके मुंह के नीचे लटक रहा होता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने पास मास्क रखते हैं, लेकिन लगाते तभी हैं, जब उन्हें कोई पुलिसवाला दिख जाए। कम ही लोग ऐसे मिलते हैं, जिन्होंने सही तरीके से मास्क लगाया होता है।
मास्क लगाओ, लटकाओ मत
मास्क लगाने में लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही को देखते हुए हम एक सीरीज शुरू कर रहे हैं, जिसमें आपको मास्क लगाने के तरीके से लेकर उसके फायदों आदि के बारे में बताया जाएगा। आज इस सीरीज की पहली किस्त आपके सामने पेश है। इसमें हम बात करेंगे कि कैसे अधिक से अधिक लोग मास्क लगाकर कोरोना वायरस संक्रमण से बच सकते हैं और कैसे इनकी मदद से संक्रमण की दूसरी लहर को आने से रोका जा सकता है।
मास्क से रोकी जा सकती है संक्रमण की दूसरी लहर
इसी महीने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक स्टडी सामने आई थी। इसमें कहा गया था कि अगर ज्यादा से ज्यादा लोग मास्क लगाए, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे और लॉकडाउन की कुछ पाबंदियां जारी रहे तो कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को रोका जा सकता है। स्टडी में बताया गया कि अगर बड़ी संख्या में लोग घर पर बने मास्क का भी इस्तेमाल करें तो संक्रमण दर में भारी कमी आ सकती है।
ज्यादा से ज्यादा लोगों को मास्क लगाने की जरूरत- विशेषज्ञ
स्टडी करने वाली टीम के प्रमुख डॉक्टर रिचर्ड स्टुट ने बताया विश्लेषण में सामने आया कि दुनियाभर में लोगों को तुरंत मास्क लगाना शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ज्यादा से ज्यादा लोग मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें तो लॉकडाउन की कुछ पाबंदियों के साथ महामारी पर नियंत्रण किया जा सकता है। इससे कारगर वैक्सीन आने से पहले ही अर्थव्यवस्था को खोलने में मदद मिलेगी और कोरोना वायरस का प्रकोप कम होगा।
महामारी का प्रकोप कम होने के लिए रिप्रोडक्शन रेट 1.0 से कम जरूरी
महामारी का प्रकोप कम करने के लिए उसके रिप्रोडक्शन रेट (R0) का 1.0 से कम होना जरूरी है। रिप्रोडक्शन रेट का मतलब यह होता है कि कोई संक्रमित व्यक्ति अपने संपर्क में आने वाले कितने अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है। रिप्रोडक्शन रेट जितनी ज्यादा होती है उसका मतलब यह है कि संक्रमित व्यक्ति उतने ही ज्यादा लोगों के यह वायरस फैला रहा है। इसलिए इसका कम होना बेहद जरूरी है।
महामारी के प्रकोप से बचा सकता है मास्क
वहीं अगर सभी लोग मास्क लगाने लगे और लॉकडाउन की कुछ पाबंदियां जारी रहे तो अगले 18 महीनों तक महामारी को दोबारा सिर उठाने से रोका जा सकता है। कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन के लिए भी इतने ही समय की जरूरत है।